जलज शर्मा, रतलाम। वर्षा जल संरक्षण के लिए रेलवे ने अपने क्षेत्र का भूजल स्तर बढ़ाने के लिए पहली बार वैकल्पिक इंतजामों पर ध्यान दिया है। स्टेशन एवं कॉलोनियों की बिल्डिंग में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के बाद अब रेलवे ट्रेक के पास की रेलवे की जमीन में गड्ढे खोदकर छोटे-छोटे पोखर तैयार करवाए जा रहे हैं। इससे बारिश के पानी से भूमिगत जलस्तर बढ़ेगी। जलस्तर बने रहने से रेलवे क्षेत्र के नलकूप सहित अन्य स्रोतों में गर्मी के दिनों में भी पानी बना रहेगा।अधिकारियों का कहना है कि यह पश्चिम रेलवे में रतलाम पहला मंडल है जहां इस तरह जल संरक्षण के प्रयोग शुरू किए गए हैं।
वर्तमान में रेलवे को पानी के उपयोग के लिए मशक्कत करना करना पड़ रही है। रतलाम मुख्यालय स्टेशन पर ही करीब 30 से 35 लाख लीटर सामान्य पानी की खपत हो रही है। वहीं रेल मंडल में खपत की मात्रा कई गुना ज्यादा है। रेलवे द्वारा गर्मी में नगर निगम एवं निजी टैंकर व ट्यूबवेल से आपूर्ति की जा रही है।
अतिक्रमण रुकेगा, ट्रैक की मजबूती पर भी ध्यान
रेलवे द्वारा दर्जन से अधिक सेक्शनों में निश्चित आकार के गड्ढे खोदकर पौंड (पोखर) बनाए गए हैं। रेल मंडल स्तर पर कुछ सेक्शनों में आधा काम कर लिया गया। इसमें बारिश का पानी जमा भी होने लगा है। जबकि अन्य सेक्शनों में काम जारी है। रेलवे अधिकारी का कहना है कि ये छोटे पोखर रेलवे ट्रैक से दूर रेलवे सीमा क्षेत्र में बनाए गए हैं। इससे अतिक्रमण की समस्या भी नहीं होगी। ट्रेक की मजबूती को लेकर भी ध्यान रखा जा रहा है।
75 जगह लगेंगे हार्वेस्टिंग सिस्टम
वर्षा जल संरक्षण के लिए रेल प्रशासन ने रेलवे स्टेशन, शेड एवं कॉलोनियों की बिल्डिंग में रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। रेल मंडल में कुल 75 स्थानों पर यह काम होगा। इसमें पहले चरण का काम शुरू कर दिया गया है। हार्वेस्टिंग सिस्टम से बिल्डिंग से नीचे उतरा पानी पाइप लाइन के जरिए एक स्थान पर जमा होगा। इसके बाद रेलवे ने रिचार्जिंग पिट बनाई है। इसके माध्यम से पानी जमीन में जाएगा।
कुड़ेल डेम व माही पर निर्भर
रेलवे द्वारा रेलवे स्टेशन, डीजल शेड, रेलवे कॉलोनी तथा डीआरएम ऑफिस में पानी की आपूर्ति के लिए एकमात्र कुड़ेल डैम पर निर्भर है। यहां पानी खत्म होने के बाद माही नदी से वाटर स्पेशल ट्रेन चलाना पड़ती है। 35 लाख लीटर रोज की खपत गर्मी में बढ़कर 40 से 45 लाख लीटर तक पहुंच जाती है। दूसरी ओर ये प्रमुख जलस्रोत भी सूखने लगते हैं। इस दौरान रेलवे द्वारा निजी टैंकरों से पानी परिवहन करवाया जाता है। भूजल स्तर बढ़ने से बंद ट्यूबवेल चार्ज हो सकेंगे।
इन सेक्शनों में बनाए जाएंगे पोखर
रतलाम-गोधरा सेक्शन
-623/20-24 किमीभैरोगढ़-रावटी
-620/13-15 किमीभैरोगढ़-रावटी
-608/24-26 किमीबामनिया-भैरोगढ़
-523/5, 522/23किमीउसरा-जेकोट
-670/10-2 किमीबांगरोद-रूनखेड़ा
रतलाम-चंदेरिया सेक्शन
154/1-2 किमीधुसल्डा-चंदेरिया
324/3-4 किमीकचनारा-ढोढर
290/1-3 किमीमंदसौर स्टेशन
उज्जैन-भोपाल सेक्शन
56/6-10 किमीउज्जैन-पिंग्लेश्वर
107/26-28 किमीबेरछा-पीरउमरोद
इंदौर-देवास-उज्जैन सेक्शन
55/17-19 किमीबरलई-मांगलिया
यहां भी हुए काम
रतलाम मुख्यालय पर शिमला कॉलोनी, न्यू फिल्टर हाउस, डॉ. अंबेडकर नगर तथा बड़नगर कॉलोनी।
रेल मंडल में पर्यावरण संरक्षण एवं भूजल स्तर बढ़ाने के लिए विभिन्न सेक्शनों, कॉलोनियों एवं स्टेशनों पर रैन हार्वेस्टिंग वाटर सिस्टम लगाए गए हैं। ट्रैक से दूर रेलवे सीमा में छोटे पोखर तैयार किए जा रहे हैं। इससे आगामी दिनों में भूजल स्तर बढ़ने से रेलवे को पानी की आपूर्ति में सहायता मिलेगी। -आरएन सुनकर, डीआरएम रेल मंडल रतलाम