MP Ratlam Shahar Vidhan Sabha: रतलाम से डा. जितेंद्र व्यास। नमकीन का अनूठा स्वाद और सोने का विश्वास रतलाम की ये दो खूबियां देशभर में प्रसिद्ध हैं। रतलामी सेंव के जितनी चर्चा नमकीन प्रेमियों के बीच होती है, आभूषण पसंद करने वालों को रतलामी सोना भी उतना ही भाता है। राजस्थान से मालवा में प्रवेश का स्वर्णद्वार कहलाने वाला यह छोटा सा लेकिन औद्योगिक नगर यूं तो विकास की लंबी छलांग लगा रहा है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं को लेकर यहां के रहवासियों का इंतजार अभी खत्म होता नजर नहीं आता है।
रतलाम शहर में प्रवेश करते ही ट्रैफिक जाम और पार्किंग की समस्या से जूझते लोग नजर आते हैं। यूं तो धोलावड़ डैम में पूरे वर्ष आपूर्ति करने लायक पानी इकट्ठा है, लेकिन वितरण व्यवस्था सही नहीं होने की वजह से शहर पेयजल संकट का सामना कर रहा है। शहर की कुछ सड़कें अवश्य फोरलेन हो चुकी हैं, लेकिन कुछ सड़कें अब भी संकरी हैं, जिन पर अतिक्रमण से दोपहिया वाहन निकलने में भी परेशानी होती है। औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी रोजगार के लिए युवाओं को शहर से बाहर जाना होता है। भारतीय जनता पार्टी के चैतन्य काश्यप यहां के विधायक हैं।
पहले कार्यकाल में मिले मेडिकल कालेज में प्रयास कर 750 बेड का अस्पताल शुरू करवा दिया गया है। नमकीन क्लस्टर भी रतलाम में आकार ले चुका है और 35 उद्योग यहां संचालित हो रहे हैं। रिडेंसिफिकेशन के तहत गोल्ड पार्क बनकर तैयार हो ही रहा है। पानी की समस्या दूर करने के लिए अमृत-2 में 72 करोड़ रुपये के काम होंगे। - चैतन्य काश्यप, भाजपा विधायक
रतलाम में विकास के दावे कितने सही हैं ये शहर में घूमकर आसानी से देखा जा सकता है। पेयजल की समस्या ज्यों की त्यों हैं। सीवरेज सिस्टम भी ध्वस्त है। कहने को औद्योगिक शहर है, लेकिन युवाओं के पास नौकरियां नहीं हैं। पीएम मित्र पार्क सहित कई बड़े उद्योग बदनावर चले गए हैं। - प्रेमलता दवे, गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी
रतलाम की प्यास बुझाने के लिए हर दिन 45 एमएलडी पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन पुरानी टंकियों और पुरानी पाइपलाइन की वजह से 32 से 35 एमएलडी पानी ही मिल पाता है। इससे सैलाना रोड, मेडिकल कालेज क्षेत्र सहित बड़े इलाके को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। अब नए पंप मंगवाने के साथ ही नया इंटकवेल भी बनवाया जा रहा है।
- पेयजल व्यवस्था बेहतर नहीं होना सबसे बड़ा मुद्दा है। योजना बन चुकी है, लेकिन फिलहाल लोग परेशान हैं।
- गोल्ड कांप्लेक्स की रेडेंसिफिकेशन की योजना में देरी, अब तक जमीन पर नहीं आया प्रोजेक्ट।
- शहर के मध्य स्थित अमृत सागर के सुंदरीकरण का काम 24 करोड़ की लागत से होना है। यह कार्य भी धीमी गति से चल रहा है।
- पार्किंग और ट्रैफिक जाम शहर में सबसे बड़ी समस्या।
सुभाष नगर रोड पर ब्रिज का काम धीमा होने की वजह से भी लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। 467 करोड़ रुपये का निवेश क्षेत्र यहां स्वीकृत हो चुका है, लेकिन कार्य शुरू होने के पहले ही आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं कि उनकी जमीनें इस क्षेत्र के लिए चली जाएंगी। 24 करोड रुपये से शहर की अमृत सागर झील का सुंदरीकरण होना है, लेकिन यहां काम नजर नहीं आता। पानी में जलकुंभी हटाती मशीनें ही दिखती हैं, जबकि इसे सुरम्य पर्यटन क्षेत्र बनाया जा सकता है।
रतलाम के सोने को देशभर के स्वर्ण बाजार में पहचान दिलाने के लिए गोल्ड पार्क योजना तैयार की गई थी। इसके लिए रीडेंसिफिकेशन योजना के तहत औद्योगिक समूह ने 230 करोड़ रुपये में जमीन लेकर उस पर गोल्ड पार्क का निर्माण शुरू किया। इसके साथ ही 300 बेड की जिला अस्पताल की नई इमारत, 14 करोड़ का आडिटोरियम और 45 सिविल क्वार्टर बनाकर देने की सहमति बनी थी।
ये कार्य तय समय सीमा से तीन वर्ष बाद भी पूरे नहीं हो सके हैं। रतलाम सराफा एसोसिएशन के पदाधिकारी कीर्ति बड़जात्या कहते हैं कि गोल्ड पार्क रतलाम के विकास की नींव साबित होगा, लेकिन इस बारे में रतलाम सराफा के व्यापारियों को ही जानकारी नहीं दी जाती। यह क्या और कैसे होगा, किसी को पता नहीं।