नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। बगैर मान्यता लिए चल रहे अवैध मदरसे में धार्मिक व स्कूली शिक्षा के नाम पर प्रदेश के कई जिलों से लाई गई बच्चियों को बेहद खराब हालात में रखे जाने के मामले में अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी संज्ञान लिया है। मध्य प्रदेश बाल संरक्षण अधिकार आयोग की सदस्य डॉक्टर निवेदिता शर्मा के दौरे में मदरसे के अवैध रूप से संचालन करने की बात सामने आई थी।
डॉ शर्मा द्वारा दी गई जानकारी के बाद प्रशासन की ओर से एडीएम डॉक्टर शालिनी श्रीवास्तव मदरसे में जांच के लिए पहुंची थी। एडीएम ने निरीक्षण के बाद मीडिया को दी गई जानकारी में मदरसे के हालात लगभग ठीक होने की बात कही थी और यह स्वीकार किया था कि मदरसे से कुछ कैमरे हटा लिए गए हैं, लेकिन वहां से डीवीआर जब्त नहीं की गई। प्रशासन के स्तराविया पर अब राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने एडीएम पर तल्ख टिप्पणी करते हुए एडीएम को प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने की अनुशंसा भी की है।
कैमरे पाए गए
मध्यप्रदेश बाल आयोग की सदस्य ने निरीक्षण के दौरान रतलाम में एक अवैध मदरसे में लड़कियों के कमरों में कैमरे लगे पाये हैं । दूसरे शहरों/राज्यों से ला कर लड़कियों को वहां रख कर उनको स्कूल नहीं भेजा जा रहा है यह संविधान का उल्लंघन है। इस मामले में बाल आयोग सदस्य ने कैमरे की रिकॉर्डिंग की DVR जब्त करने के मौखिक निर्देश तत्काल दे दिये थे, DVR जब्त की जानकारी प्रशासन से आना बाक़ी है जिसकी प्रत्याशा में आयोग द्वारा नोटिस जारी किया जाना बाक़ी है।
इसके पूर्व ही ये मैडम जो कि वहां की बतायी जा रही हैं ने मदरसे पहुँच कर मदरसे की प्रवक्ता की तरह बयान दे कर मदरसे को क्लीन चिट दे दी है। इस मामले में प्रशासन को नोटिस जारी कर रहे हैं साथ ही बाल अधिकार क़ानूनों पर इन एडीएम को प्रशिक्षण दिये के लिए भी सरकार को अनुशंसा कर रहे हैं।
गड़बड़ी तब उजागर हुई जब मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने खाचरौद रोड स्थित दारुल उलूम आयशा सिद्धीका लिलबिनात का निरीक्षण किया।
यहां खुले फर्श पर करीब 30 से 35 बच्चियां सोती पाई गई। कमरे में बच्चों की सुविधा के लिए कोई इंतजाम नहीं मिले थे। करीब आठ वर्षीय एक बच्ची तो तेज बुखार से ग्रस्त मिली। इस पर डॉ. निवेदिता ने जमकर नाराजगी जाहिर की व कार्रवाई के निर्देश दिए।
रतलाम जिले में अवैध मदरसों में धार्मिक शिक्षा के नाम पर बच्चों को रखे जाने के मामले पहले भी सामने आए हैं। निरीक्षण के दौरान पता चला कि यह मदरसा महाराष्ट्र के ‘जामिया इस्लामिया इशाअतुल उलूम अक्कलकुआ’ से संबंधित है।
दल ने वहां पाया कि मदरसे में करीब 100 बच्चियों को रखा गया है, जिनमें से आधे से अधिक का नाम किसी अन्य शासकीय स्कूल में दर्ज है। मदरसे परिसर में ही 10वीं कक्षा तक का स्कूल भी संचालित है, जिसकी सोसायटी का पंजीयन वर्ष 2012 में हुआ था, लेकिन मान्यता 2019 में ली गई।
मदरसे के अंदर साफ सफाई की कमी दिखी, इसके साथ ही दो बच्चियां ऐसी भी मिली जिनके माता-पिता नहीं है। ये बच्चे मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में भी पंजीकृत नहीं पाए गए। इसके अतिरिक्त हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हुए मिले, इसमें बच्चियों की निजता का भी ध्यान नहीं रखा गया था।
2 दिन पूर्व मदरसे के निरीक्षण के बाद एडीएम शालिनी श्रीवास्तव#MPNews #Madarsa #ShaliniSrivastava #Naidunia pic.twitter.com/hw2f1f9fJo
— NaiDunia (@Nai_Dunia) August 6, 2024