Jain Diksha in Sailana: सैलाना/रतलाम। सैलाना राजवंश के इतिहास में पहली बार रतलाम निवासी 14 वर्षीय मुमुक्षु तनिष्का चाणोदिया ने बुधवार को राजवंश पैलेस से संयम के राजपथ पर प्रस्थान किया। दीक्षा से पहले बंधु बेलड़ी आचार्य जिनचंद्रसागर सूरीश्वर जी आदि श्रमण–श्रमणी वृंद की निश्रा में सुबह सैलाना में वर्षीदान यात्रा निकली, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होकर पैलेस में पहुंचकर दीक्षा कार्यकम में परिवर्तित हुई।
पैलेस परिसर में मुमुक्षु तनिष्का की दीक्षा शाही अंदाज में हुई। इस ऐतिहासिक प्रसंग को निहारने के लिए देशभर से समाजजन उपस्थित रहे। दीक्षा के बाद मुमुक्षु तनिष्का अब साध्वी तीर्थ वर्षा श्रीजी के नाम से जानी जाएगी। दीक्षा विधि पूर्ण होते ही कार्यक्रम स्थल गुरु भगवंतों के साथ दीक्षार्थी की जय–जयकार से गूंज उठा। दीक्षा के भाव–विभोर करने देने वाले दृश्य से कई श्रावक–श्राविकाओं की अश्रुधारा बहने लगी।
उल्लेखनीय है कि सैलाना की पावन भूमि पर करीब 100 साल पहले मालवा के परम उपकारी आगमोद्धारक आनंदसागर सूरीश्वर जी का चातुर्मास हुआ था। उन्होंने सैलाना नरेश दिलीप सिंह को प्रतिबोध करवाते हुए जिनशासन के प्रति श्रद्धावान बनाया था। जिसके संस्कार आज भी इस राज परिवार में है।
इसी राजवंश की तीसरी पीढ़ी में विक्रमसिंह परिवार द्वारा तीन दिन पहले आचार्यश्री से दीक्षा महोत्सव पैलेस में आयोजित करने का अनुरोध किया गया था, जिसे आचार्यश्री ने स्वीकृति प्रदान की। इसके पहले दीक्षार्थी का मंगलवार को सैलाना में मंगल आगमन हुआ था। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन–वंदन कर आशीर्वाद लिया था। उनकी बड़ी बहन की अब साध्वी पंक्तिवर्षाश्रीजी की हाल ही में रतलाम में दीक्षा हुई है। वे भी इस समारंभ में उपस्थित रही।
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— NaiDunia (@Nai_Dunia) June 1, 2022
ऐसे जागे दीक्षा के भाव
मुमुक्षु तनिष्का ने बताया कि हमारे परिवार को दीक्षा विरासत में मिली है। अभी तक 15 से 16 दीक्षाएं हो चुकी हैं। कुछ वर्ष पहले हमारे भाई प्रियचंदसागर जी, बड़ी बहन साध्वी प्रज्ञारत्ना श्रीजी और छोटी बहन साध्वी चंद्रवर्षा श्रीजी की दीक्षाएं हुई, तभी से मन में संयम जीवन के प्रति भाव जागे थे। जब इनके सान्निध्य का लाभ मिला, तब विरति धर्म के प्रति मन लालायित हुआ और आज मेरे जीवन में भी यह सुखद घड़ी आ गई है। अब मैं जिनशासन की सेवा में सदैव समर्पित रहूंगी।
दीक्षार्थी का परिचय
टाटानगर निवासी संतोष–शोभा चाणोदिया की 14 वर्षीय पुत्री जुड़वां बहनें पलक व तनिष्का ने कक्षा नौवीं तक पढ़ाई की है। चाणोदिया दंपती की चार पुत्रियां और एक पुत्र हैं। इनमें से बड़ी पुत्री दीपाली वर्ष 2014 में बंधु–बेलड़ी आचार्यद्वय की निश्रा में दीक्षा अंगीकार कर संयम पथ पर अग्रसर हो चुकी है। हाल ही में 26 मई को दोनों जुड़वां बहनों की रतलाम में दीक्षा होनी थी, लेकिन शारीरिक अनुकूलता नहीं होने से तनिष्का की दीक्षा नहीं हो पाई थी। समारोह में पलक के साथ मोहन टाकीज निवासी विशाल–पायल कोठारी के साढ़े नौ वर्षीय पुत्र ईशान जैन भगवती दीक्षा अंगीकार कर संयम जीवन में कदम रख चुके हैं। अब बुधवार को तनिष्का दीक्षा ग्रहण कर संयम पथ पर अग्रसर हुई।