राजगढ़ (नवदुनिया प्रतिनिधि)। नागरिकों को कई बार देखा जाता है कि वह भगवान के मंदिर में शिवालय, देवायल सहित मंदिरों में बैठकर ताश पत्ते खेलते हैं। मना करने पर बोलते हैं कि हमारे यहां तो ऐसा ही चलता है। यह ठीक नहीं है। जो व्यक्ति भगवान के मंदिर में, बेलपत्र के पेड़ के नीचे व पीपल के पेड़-आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर ताशपत्ते खेलते हैं उसकी 71 पीढ़ियों का उद्धार नहीं हो सकता। यह बात पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव महापुराण के चौथे दिन राजगढ़-ब्यावरा हाइवे किनारे कथा के दौरान कही।
उन्होंने कथा के दौरान ताश को नागरिक को किसी भी कीमत पर मंदिरों में ताश नहीं खेलना चाहिए। लेकिन कई लोग गांवों में मंदिर में बैठकर ताश खेलते रहते हैं। मंदिर, आंवला, बेल पत्र, पीपल के पेड़ों के नीचे ताश खेलना बिल्कुल गलत है। ऐसा करने वालों के परिवारों का कभी भी उद्धार नहीं हो सकता। उनकी 71 पीढ़ियां तर नहीं सकती। इसलिए यह सावधनी रखे। उन्होंने स्थानीय रहवासियों से भी आव्हान किया कि यदि कोई ऐसा करता है तो उस जगह को उनके आने के समय पानी डालकर गीला कर दें, फिर कहां बैठेंगे।
कथा के दौरान पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हर भाई को अपनी बहन को याद रखना चाहिए। रक्षा बंधन के त्यौहार के मौके पर उन्हें बुलाना चाहिए। बहनों को भी भाइयों से बात करते रहना चाहिए। इसलिए अब राखी का त्यौहार आने वाला है। इसलिए मैं सभी से आग्रह करूंगा सभी लोग अपनी-अपनी बहनों का जरूर बुलाएं। राखी के मौके पर सभी अपनी बहनों को जरूर याद करते हुए उन्हें बुलाएं।
कथा के दौरान उन्होंने कहा कि कई ऐसे लोग होते हैं जिनका काम है हमारे सनातन धर्म की निंदा करना, यह तरीका बहुत गलत है। सनातन धर्म की निंदा नहीं करना चाहिए। हमारे धर्म की निंदा करने के लिए कोई भी तैयार हो जाता है। इसलिए सभी को सावधानी रखना चाहिए इसके लिए। हमारे धर्म की कोई निंदा न करें। न करें न किसी करने दे। यदि कोई हमारे धर्म की निंदा करें तो उसको रोकें। यह हम सभी का दायित्व है। इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने शाम के समय होटल संस्कृति में भूतपवूर्व सैनिकों की बैठक ली। उन्होंने उनसे आव्हान किया कि आप लोगों के अंदर सुरक्षा का भाव जागृत करें। ताकि बहन-बेटियां अपने गांव, शहरों में सुरक्षा के साथ रह सके व जी सके। गांवों में जातिवाद के दंश को खत्म करने का प्रयास करें। लोगों को राष्ट्रवाद व धर्म से जोड़ने का काम करें। राष्ट्रवाद व धर्म देश के लिए बेहद जरूरी है।