नवदुनिया प्रतिनिधि, रायसेन। पांच साल की बेटी और तीन साल के बेटे की हत्या करने वाली मां राधिका को अपने इस घिनौने कृत्य पर न तो कोई पछतावा है और न ही बच्चों की मौत का कोई गम। पुलिस हिरासत में कभी भी उसके चेहरे पर पछतावे या आत्मग्लानि के भाव नजर नहीं आए, लेकिन जैसे ही उसे यह बताया गया कि उसे जेल भेजा जाएगा, वह अचानक टूट गई। अपने भाई से लिपटकर वह जोर-जोर से रोने लगी और जेल जाने से बचाने की गुहार लगाने लगी।
जिले के देवरी कस्बे के वार्ड क्रमांक 4 में गुरुवार को हुई् हृदय विदारक घटना की जांच में बच्चों की निर्मम हत्या का कोई ठोस कारण अब तक सामने नहीं आया है। अभी तक की पड़ताल में यही सामने आया है कि राधिका का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था, लेकिन पुलिस को अब तक परिजनों से ऐसे किसी दस्तावेज की प्राप्ति नहीं हुई है, जो उसकी मानसिक बीमारी को प्रमाणित करता हो। हालांकि, महिला के असामान्य व्यवहार और घटनास्थल पर मिले सबूतों के आधार पर यही माना जा रहा है कि वह मानसिक रूप से बीमार है। इस बात की पुष्टि राधिका का मेडिकल परीक्षण करने वाले डाक्टर ने भी की है।
राधिका के पिता सखाराम निवासी जामगढ़ बरेली ने पुलिस को बताया कि राधिका को पहले भी मानसिक समस्याएं थीं। परिजनों ने उसे कई बार झाड़-फूंक के जरिए ठीक करने की कोशिश की, एक बार बंगाली डॉक्टर को भी दिखाया। लेकिन उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि राधिका इस हद तक जा सकती है कि अपने ही बच्चों की हत्या कर देगी।
यह भी खुलासा हुआ है कि राधिका के परिवार में इलाज के नाम पर ज्यादातर अंधविश्वास और झाड़-फूंक पर ही भरोसा किया गया, जो शायद इस घटना का मुख्य कारण बन सकता है। अगर समय पर राधिका का सही इलाज होता, तो शायद इस भयावह घटना को टाला जा सकता था। इस घटना ने स्पष्ट किया है कि जब तक समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता नहीं बढ़ाई जाएगी, तब तक ऐसी खौफनाक वारदातों से बचना मुश्किल है।
पुलिस जांच में सामने आया है कि बच्चों पर कुल्हाड़ी से इस तरह के वार किए गए हैं कि उन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे कोई पेड़ को काटने के लिए पूरी ताकत से वार करता है। जांच अधिकारियों ने बताया कि जिस निर्ममता से यह वार किए गए, उसे देखकर यह विश्वास करना मुश्किल है कि एक मां अपने ही बच्चों के साथ ऐसा कर सकती है। राधिका के इस बर्ताव ने न केवल पुलिस अधिकारियों बल्कि पूरे इलाके को भी झकझोर कर रख दिया है।
इस मामले की जांच कर रहे देवरी थाना प्रभारी हरिओम अस्थाया ने बताया कि उन्होंने अपने 10 साल के करियर में इतना खौफनाक मंजर नहीं देखा। उन्होंने कहा कि यह मामला इतना भयानक था कि उसे देखने के बाद हमने दिनभर खाना नहीं खाया। यह घटना हमें हमेशा याद रहेगी।
पुलिस राधिका अहिरवार को मेडिकल के लिए लेकर आई थी। प्रारंभिक पड़ताल और उसके बर्ताव व असामान्य व्यवहार से लग रहा है कि वह मानसिक रूप से बीमार है।
- डा. केके सिलावट, मेडिकल ऑफिसर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, देवरी।
अभी तक जांच में ऐसा कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है, जिसके चलते राधिका ने अपने बच्चों की निर्मम हत्या की। राधिका के परिजनों से भी पूछताछ की गई तो उन्होंने भी यही बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार थी, लेकिन उन्होंने इलाज के नाम पर सिर्फ झाड़-फूंक कराई है। इलाज के कोई पर्चे वगैरह उनके पास नहीं हैं। फिलहाल महिला को न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया है।
- हरिओम अस्थाया, थाना प्रभारी, देवरी।