जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को परमहंसी गंगा आश्रम झौतेश्वर में विधि विधान से समाधि दी गई। इस दौरान हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने जय गुरुदेव के नारे लगाते हुए अंतिम विदाई दी । बड़ी संख्या में संत, महंतों के साथ धर्म क्षेत्र से जुड़े लोग वहां मौजूद रहे। अंतिम दर्शन करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी वहां पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी के साथ उनके उत्तराधिकारियों की भी घोषणा की गई।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती काे परमहंसी गंंगा आश्रम क्षेत्र में समाधि दे दी गई। इस दौरान हजारों लोग मौजूद रहे।#mpnews #narsinghpurnews https://t.co/NR5iccfrnb pic.twitter.com/K0CAU4J09J
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गौरतलब है कि शंकराचार्य दो पीठों के स्वामी थे। अब स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका शारदा पीठ का और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ बद्रीनाथ का प्रमुख घोषित किया गया है।
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दोनों के नाम की घोषणा शंकराचार्य स्वरूपानंद की पार्थिव देह के सामने की गई। ज्योतिष एवं द्वारका पीठ के पीठ पंडित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री ने बताया कि श्रंगेरी शारदा पीठ के सचिव वी गौरी शंकर और पुरी पीठ के प्रतिनिधि ने अभिषेक एवं पट्टा वस्त्र उढ़ाकर शंकराचार्य की घोषणा की। पंच अग्निपीठ के आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मर्षि रामकृष्णानंद ने शॉल श्रीफल देकर दोनों शंकराचार्यों को सम्मानित किया। इसके बाद पालकी में शंकराचार्य की पार्थिव देह को समाधि स्थल लाया गया और समाधि की प्रक्रिया शुरू की गई। बनारस के आचार्य पंडित अवध राम पांडे के आचार्यत्व में भू समाधि कार्यक्रम हुआ। इस दौरान विशेष रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, विधायक जयवर्धन सिंह, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा, महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, मैथिली तिवारी, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, शेखर चौधरी, सुरेश पचौरी, विधायक अजय विश्नोई, विधायक लखन घनघोरिया मौजूद रहे। समाधि स्थल राजकीय सम्मान के साथ तिरंगे में पार्थिव देह को लपेटा गया इसके पश्चात गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
गुरू की सेवा को मानते रहे सुख- अविमुक्तेश्वरानंद
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हम लोग तो गुरूजी के सेवक हैं और उनकी सेवा में सुख मानते रहे। अब हम लोगों को कल से अंधेरा ही अंधेरा दिखाई दे रहा था कि हम क्या करेंगे। आज ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद जी ने बताया कि गुरूजी हमको यह कहकर गए हैं कि इनको यह कार्य-उनको यह कार्य संभालना हैं तो गुरूजी का जो आदेश है वही हमारे जीवन का संबल है। उसी को ठीक से निभा लें तो हमारा जीवन सफल मानें।
यह बात ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सोमवार मीडियाकर्मियों से चर्चा करते हुए कही। ज्योतिषपीठ की जिम्मेदारी मिलना बड़ी जिम्मेदारी है, इस सवाल पर दंडी स्वामी से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य घोषित स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमको इस बात का बोध है कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसे ठीक से निभाना है। जिसने यह जिम्मेदारी दी है वही हमें शक्ति भी देंगे