नईदुनिया, नरसिंहपुर (Narsinghpur News)।नवलगांव में बागेश्र्वर धाम के पं धीरेंद्र शास्त्री के आगमन पूर्व मारपीट में युवक की मौत प्रकरण में सात लोग आरोपित बनाए गए। वहीं बीती एक अक्टूबर को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजे गए दो और आरोपितों को हाईकोर्ट ने बीते दिवस जमानत दे दी है। इन्हें पचास-पचास हजार रुपए का मुचलका भरना पड़ा है।
स्टेशनगंज थाना पुलिस ने बीती 30 सितंबर को सागोरिया गांव तहसील गाडरवारा निवासी प्रांजल पिता दिनेश कुमार दुबे उम्र 22 वर्ष व रानी पिपरिया, तहसील नरसिंहपुर निवासी शरद कुमार उम्र 23 वर्ष को गिरफ्तार किया था। एक अक्टूबर को इन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया था।
जिला न्यायालय से जमानत अर्जी नामंजूर होने के बाद आरोपितों ने हाईकोर्ट में बीती 17 अक्टूबर को याचिका लगाई थी। इस पर 25 अक्टूबर को जस्टिस विशाल धगट ने सुनवाई की। हालांकि अभियोजन ने आवेदन का विरोध किया।
जस्टिस विशाल धगट ने कहा कि परिवादी ने पुलिस अधीक्षक के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया है, कि आरोपितों द्वारा उन पर समझौते का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में इन्हें जमानत पर नहीं छोड़ा जा सकता है। वहीं आरोपितों के वकील ने कहा, कि घटना के दिन आवेदक हथियारबंद नहीं थे।
मारपीट हाथ व मुट्ठियों से होने की बात कही गई है, जिसमें पीडि़त की एक पसली टूट गई। ये भी कहा, कि आवेदक कुछ समय से जेल में हैं। पीडि़त पक्ष की शिकायत पर पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध कोई अपराध भी दर्ज नहीं किया है।
आवेदकों को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के आधार पर पचास-पचास हजार के व्यक्तिगत मुचलके व समान राशि के एक-एक साल्वेंट जमानतदार प्रस्तुत करने पर जमानत पर रिहा किया जाएगा। आदेश प्राप्ति के बाद 26 अक्टूबर को प्रांजल दुबे व शरद लोधी को जमानत पर रिहा किया गया।
जानकारी के अनुसार नवलगांव हत्याकांड में पुलिस ने सात लोगों को आरोपी बनाया है। ये सभी पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा आयोजन समिति से जुड़े बताए गए हैं।
प्रकरण में पहली गिरफ्तारी करेली निवासी सिद्धार्थ ब्रजपुरिया की हुई थी। जबकि तीन माह बाद दो और आरोपी प्रांजल दुबे व शरद लोधी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तीनों को ही वर्तमान में हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है।
शेष को पुलिस चार माह बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है और तो और पुलिस कौन-कौन आरोपी फरार हैं, इनके नाम भी उजागर नहीं कर रही है। न ही लंबा वक्त बीतने के बाद भी इनकी गिरफ्तारी के लिए ईनाम ही घोषित किया गया है। जबकि छोटे-छोटे मामलों में ईनाम घोषित करने में जरा भी देरी नहीं होती। बहरहाल, फरार आरोपी कौन-कौन हैं, उनके नामों के संबंध में अधिकारियों द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि इससे विवेचना प्रभावित हो सकती है।