नईदुनिया, नरसिंहपुर(Narsinghpur News)। आलम ये है, कि देसी घी जैसा स्वाद, लाइट घी, पूजा घी और बटर से बेहतर जैसी टैग लाइन के साथ नकल बेची जा रही है। दुकानों में घी के भ्रम में उपभोक्ता वनस्पति तेल और केमिकल का मिश्रण खरीद रहे हैं। दुकानों से लेकर इकामर्स वेबसाइट पर भी ऐसे उत्पादों की बिक्री हो रही है। इन्हे रोकने वाले जिम्मेवार अधिकारी इस ओर कार्रवाई करते नजर नहीं आ रहे हैं।
कई ब्रांड तो पैक पर लाइट घी या देसी घी जैसा स्वाद लिख देते हैं। इसमें घी शब्द को बड़ा कर शेष इबारत को छोटा कर दिया जाता है। कोने में या बहुत छोटे अक्षरों में इन पर कुकिंग मीडियम लिखा होता है। शुद्ध घी से 100 से 200 रुपये सस्ता होने से उपभोक्ता लालच में आ जाता है। ब्रांड नेम और पैकिंग देख असली घी समझ खरीद भी लेता है।
पूजन सामग्री की दुकानों पर पूजा घी के नाम से बिकने वाला घी तो पूरी तरह नकली होता है। इनमें से कई तो अखाद्य तेलों से बने होते हैं। आम उपभोक्ता घी के साथ पूजा जैसा पवित्र शब्द पढ़कर इसे असली मानकर खरीद लेता है। बीते वर्षों में एक के बाद एक कई ब्रांड ऐसे पूजा घी लांच कर चुके हैं। नियमों की अस्पष्टता इन्हें नकली घी बेचने की स्वतंत्रता दे रही है।
हाई कोर्ट के वकील लखन सोनी के अनुसार आमतौर पर ऐसे उत्पाद बना रहे कारोबारी पैकिंग पर देसी घी या शुद्ध घी नहीं लिखते हैं। इन पर कुकिंग मीडियम, घी जैसा स्वाद या घी का विकल्प लिखा जाता है। या सिर्फ घी की तस्वीर छापकर ब्रांड नेम छाप दिया जा रहा है।
दरअसल कानून में कहीं भी ऐसी टैगलाइन या तस्वीर को प्रतिबंधित करने का प्रविधान नहीं है। ऐसे में कानूनन इन पर मिलावट या नकली घी बेचने की कार्रवाई नहीं हो सकती। पैक के पीछे ये बारीक अक्षरों में अवयवों का विवरण लिख देते हैं, जो आमतौर पर उपभोक्ता नहीं पढ़ता। पूजा घी लिखकर भी वे कार्रवाई से बचे रहते हैं, क्योंकि उनकी दलील होती है, कि यह खाने का नहीं, पूजा के लिए है।
आमजनों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ प्रशासन कतई बर्दाश्त नहीं करेगा, हम सभी नकली उत्पादों जिसमें मानव को क्षति पहुंचती है, उन्हे रोकने और जिम्मेवारों पर कड़ी कार्रवाई के लिये संकल्पित है, इस तरह की नकली उत्पादों की बिक्री पर नजर रखी जा रही है।
अंजली शाह, अपर कलेक्टर नरसिंहपुर