Narsinghpur News : नरसिंहपुर, नई दुनिया प्रतिनिधि। कृषि प्रधान नरसिंहपुर जिले में किसानों को औने-पौने दामों में अनाज बेचने लाचार होना पड़ रहा है। वजह यह है कि शासन ने जो उपमंडिया बनाईं हैं वह सुचारू रूप से नहीं चल रही हैं। चार प्रमुख उपमंडिया लंबे समय से बंद हैं। किसान यदि उपज के पर्याप्त दाम पाने शहरी क्षेत्र की मंडियों में अनाज लेकर जाते हैं तो अधिक भाड़ा लगता है, समय की बर्बादी होती है। मंडी प्रबंधन के साथ ही शासन-प्रशासन भी गंभीर नहीं है जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं।
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले और उपज विक्रय करने में कोई परेशानी न हो इसके लिए कृषि उपज मंडिया, उपमंडिया खोली गईं हैं, लेकिन जिले में दशकों बाद भी उपमंडियों का संचालन ठीक से नहीं हो रहा है ।हालत यह है कि सिहोरा उपमंडी सिर्फ गुड़ सीजन में खुलती है यहां समर्थन मूल्य पर धान की खरीद का भी केंद्र बन जाता है ।लेेकिन अनाज विक्रय यहां सुचारू नहीं होता है ।यह उपमंडी तेंदूखेड़ा कृषि उपज मंडी के अधीन है ।जिससे क्षेत्र के करीब 50 गांव जुड़े है ।जिनको उपज बेंचने के लिए 18 से 20 किमी दूर गाडरवारा, करेली मंडी जाना पड़ता है।
उपमंडी से जुड़े सिहोरा निवासी किसान राकेश शर्मा, चौ. सूर्यकांत लोधी कहते हैं कि यदि उपमंडी में अनाज की खरीद होने लगे तो किसानों को काफी लाभ मिलेगा। उन्हें उपज का पर्याप्त दाम मिलेगा और करेली-गाडरवारा मंडी जाने की परेशानी से निजात मिलेगी। जब उपमंडी अच्छी तरह चलेगी तो निश्चित तौर पर सिहोरा क्षेत्र के व्यापारियों को भी लाभ मिलेगा। श्रमिकों को भी काम मिलने लगेगा और उनकी आय बढ़ेगी। उपमंडी चलने से ही क्षेत्र के विकास में गति आएगी क्योंकि जब किसानों को भी लाभ नहीं मिलेगा तो अन्य व्यवसाय कैसे चलेंगे। पूरा क्षेत्र कृषि और ग्रामीण बाहुल्य है।
हर्रई के किसान पंकज शर्मा कहते हैं कि छोटे किसानों को काफी परेशानी होती है। उनका भाड़ा भी अधिक लगता है और उपज कम होने से दाम भी कम मिलते हैं। कई किसान मजबूरी में स्थानीय व्यापारियों को भी औने-पौने दामों में अनाज बेचते हैं। किसानों के हित में उपमंडी का चालू होना बहुत जरूरी है। इस उपमंडी से सिर्फ गुड़ व्यापारी ही जुड़े हैं और अनाज खरीदी के लिए व्यापारियों ने लाइसेंस नहीं बनवाया है। तेंदूखेड़ा मंडी के निरीक्षक विनोद अग्रवाल कहते हैं कि सिहाेरा उपमंडी में अनाज खरीदने वाले लाइसेंसी व्यापारी नहीं है। प्रयास किया जा रहा है कि उस क्षेत्र के व्यापारी लाइसेंस बनवा लें ताकि उपमंडी सुचारू चलने लगे।
सांईखेड़ा तहसील मुख्यालय पर बनी उपमंडी में भी कई वर्षो से ताला लगा है। क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों के किसान कहते हैं कि उपमंडी न खुलने से गेहूं, चना, मसूर, धान, अरहर आदि बेचने के लिए कई किमी दूर जाना पड़ता है। सांईखेड़ा से गाडरवारा की दूरी करीब 25 किमी अनाज मंडी ले जाने भाड़े से वाहन करने पड़ते हैं या फिर निजी वाहनों में डीजल लगता है। छोटे किसान कहां से भाड़ा चुकाएं, वाहन का इंतजाम करें। सांईखेड़ा से रायसेन जिले की उदयपुरा मंडी की दूरी 15 किमी और नर्मदापुरम जिले की पिपरिया मंडी 65 किमी दूर है। दाम अच्छे मिल जाएं इसलिए किसान पड़ोसी जिलो की मंडियों में उपज ले जाते हैं ।यदि शासन-प्रशासन सांईखेड़ा उपमंडी को शुरू करा दे तो किसानों को राहत मिल जाएगी।
सालीचौका और आमगांवबड़ा उपमंडी भी सिर्फ गुड़-धान के सीजन में चालू होती है। सालीचौका क्षेत्र के किसान कहते हैं कि उपमंडी बंद होने से किसानों को गाडरवारा अनाज लेकर जाना पड़ता है। सालीचौका क्षेत्र में कई अनाज व्यापारी हैं] लेकिन उपमंडी बंद रहती है तो उन्हें भी नुकसान होता है। किसान मजबूरी या तो कम दामों में स्थानीय व्यापारियों को अनाज बेचते हैं या भाड़ा देकर अनाज गाडरवारा ले जाते हैं। आमगांवबड़ा उपमंडी के भी यही हाल हैं जिससे किसानों को उपज बेचने के लिए करेली मंडी जाना पड़ता है। किसान कहते हैं कि शासन-प्रशासन उपमंडी को शुरू कराए ताकि किसान अपनी उपज बेचने भटकें नहीं।