हरिओम गौड़. नईदुनिया मुरैना। चंबल नदी के सेवरघाट पर 76 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे पुल का निर्माण 75 फीसद से ज्यादा पूरा हो चुका है। तीन महीने बाद यह पुल आवागमन के लिए शुरू होने के आसार हैं। इस पुल के बनते ही कैलारस-जौरा क्षेत्र का 34 साल से चला आ रहा इंतजार खत्म होगा और चंबल का यह क्षेत्र राजस्थान के बाड़ी-बसेड़ी से सीधे जुड़ जाएगा।
चंबल नदी के सेवरघाट पुल पर राजस्थान सरकार ने 11 करोड़ रुपये की लागत से साल 1988 में पुल निर्माण शुरू करवाया था। 682 मीटर लंबे इस पुल का 251 मीटर लंबा हिस्सा राजस्थान की सीमा में तो बन गया था, लेकिन मप्र में चंबल घड़ियाल अभयारण्य की एनओसी नहीं मिली और इसी बीच निर्माण एजेंसी ने पुल के पिलरों के बीच की दूरी भी तय मानकों से ज्यादा बढ़ा दी।
इस कारण साल 1992 में सेवरघाट पुल के निर्माण को बंद कर दिया गया। बाद में इस पुल की ऊंचाई को लेकर भी विवाद हुआ और फिर निर्माण शुरू नहीं हो सका। राजस्थान सरकार ने इसी अधूरे पुल के पास ही 25 मीटर ऊंचे नए पुल की स्वीकृति साल 2021 में दी और फरवरी 2022 में इसका निर्माण शुरू हुआ।
720 मीटर लंबे पुल के 13 पिलर बन चुके हैं, जिन पर सात स्पान डल चुके हैं। बाकी स्पान डालने, पहुंच मार्ग बनाने का काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाएगा और उसके बाद अन्य कामों को पूरा कर फरवरी 2025 तक पुल से आवागमन शुरू होने की संभावना है।
जौरा और कैलारस क्षेत्र के लोगों का राजस्थान के बाड़ी-बसेड़ी, सरमथुरा जाने के लिए मुरैना, धौलपुर होकर जाना पड़ता है। इसके लिए 160 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। सेवर घाट पुल बनने के बाद जौरा से बाड़ी की दूरी 60 किलोमीटर रह जाएगी, यानी 100 किमी का फेर बचेगा। सेवरघाट पुल बनने के बाद जौरा, कैलारस से लेकर मुरैना जिला मुख्यालय तक राजस्थान के पत्थर का काम करने वाले कारोबारियों को भी लाभ होगा।
- सेवरघाट पुल पर स्पान डालने का काम चल रहा है। पुल का 75 फीसद से ज्यादा निर्माण हो चुका है। तीन महीने में काम पूरा करके पुल को आवागमन के लिए तैयार कर देंगे।
राकेश दीक्षित, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, राजस्थान स्टेड रोड डवलपमेंट