नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। बारिश का सीजन शुरू होते ही जिले के कईयों गांवों में किसी मृतक का अंतिम संस्कार करना यातना भरा हो गया है। अंतिम संस्कार के लिए शनिवार को ऐसी ही मुसीबत अंबाह जनपद की गोपी ग्राम पंचायत के मोहनपुरा गांव के ग्रामीणों ने झेली। गांव में श्मशान नहीं होने के कारण घंटों तक शव को रखकर बारिश रुकने का इंतजार किया, बारिश नहीं रुकी तो सड़क किनारे अस्थायी टीनशेड बनाकर उसमें मृतका का अंतिम संस्कार किया गया।
मोहनपुरा गांव की 50 वर्षीय बल्ली पत्नी राकेश शर्मा की करंट लगने से मौत हो गई। पोस्टमार्टम के बाद सुबह 11 बजे से अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हुईं। झमाझम बारिश हो रही थी और गांव में श्मशान नहीं है, इसलिए बारिश रुकने के इंतजार में शव को घर में रखे रखा। दोपहर साढ़े 3 बजे तक बारिश नहीं रुकी, तो ग्रामीणों ने सड़क किनारे अस्थायी टिनशेड बनाया, जहां बल्ली का अंतिम संस्कार किया गया।
ऐसी अकेली समस्या मोहनपुरा में नहीं है। पहाड़गढ़ जनपद की कहारपुरा ग्राम पंचायत के मनोहरपुरा गांव में श्मशान के नाम पर चबूतरा और लोहे के पाइप हैं। गड्ढे में बने श्मशान में तीन फीट गहरा पानी है, ऐसे में तिरपाल बांधकर अंतिम संस्कार करना पड़ता है। यह तो केवल दो उदाहरण हैं, मुरैना जिले में ऐसे 60 से 70 गांव हैं, जिनमें श्मशान ही नहीं है। बारिश के सीजन में इन गांवों में किसी मृतक का अंतिम करना सबसे बड़ी चुनौती है।
सचिव बोला दूसरे गांव में ले चलो शव, सीईओ ने 5000 रुपये भिजवाए
मोहनपुरा गांव के ग्रामीण उदयवीर सिंह ने बताया 15 साल से मुक्तिधाम की समस्या से जूझ रहे हैं। बल्ली शर्मा के अंतिम संस्कार की व्यवस्था के लिए पंचायत सचिव अशोक सिंह तोमर को फोन किया तो सचिव ने कहा, कि पांच किलोमीटर गोपी गांव ले जाओ। सचिव ने गाेपी गांव तक शव ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था कराने को कहा, लेकिन ग्रामीण दूसरे गांव में अंतिम संस्कार को राजी नहीं हुए।
ग्रामीणों ने जिपं सीईओ को फोन लगाकर अपनी समस्या बताई। ग्रामीणों को लगा कि अंतिम संस्कार के लिए पंचायत कोई सुविधा कर देगी, लेकिन कुछ देर बाद ही पंचायत सचिव दुर्घटना मृत्यु पर मिलने वाली 5000 रुपये की आर्थिक मदद लेकर पहुंच गया। इसके बाद हताश ग्रामीणों ने अपने स्तर पर अंतिम संस्कार की व्यवस्था की।