मुरैना Morena News । 435 किमी लंबे राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में नावों के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। पूरे अभयारण्य में सिर्फ श्योपुर के पाली, मुरैना के अटार और पिनाहट घाट पर ही वैध स्टीमरों का संचालन है। बाकी करीब 147 घाटों पर 200 से ज्यादा छोटी-बड़ी नावों का संचालन किया जाता है, जिसका कोई रिकॉर्ड वन विभाग के पास नहीं है। राजस्थान के कोटा में बुधवार को एक नाव पलट गई थी। हादसे में 12 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हुआ कि जब अभयारण्य में नावों के संचालन पर प्रतिबंध है तो यह नावें क्यों और किसकी लापरवाही के कारण चल रही हैं, जबकि इसी दशक में अकेले श्योपुर और मुरैना में ही चंबल अभयारण्य में नाव पलटने से लोगों की जान जाने जैसे तीन बड़े हादसे हो चुके हैं।
हर हादसे के बाद कुछ समय के लिए यह नाव नदी से हटवा दी जाती हैं और दो से तीन दिन बाद नावों का संचालन फिर बहाल हो जाता है।कील और काठ की नाव पार कराती हैं कार व जीपचंबल में चलने वाली यह अवैध तौर पर चल रहीं नावें 2 या 4 लोगों की क्षमता वाली छोटी नौका नहीं होतीं, बल्कि आयताकार प्लेटफार्म नुमा नावों का संचालन भी चंबल के विभिन्ना घाटों पर होता है। ये नावें बाइक, कार, जीप यहां तक कि ट्रैक्टरों को भी चंबल नदी पार करवा देती हैं। यह नाव काठ के बोर्ड में कीलें ठोककर तैयार करवाई जाती हैं।
ये हैं मुख्य घटनाएं
- साल 2011 में श्योपुर के वीरपुर इलाके में चंबल नदी में नाव पलटी, जिसमें 6 लोगों की मौत हुई।
- 5 नवंबर 2014 को मुरैना के नगरा थाना इलाके के साहसपुरा घाट पर बटेश्वर मेला जा रहे लोगों से भरी नाव पलटी थी, जिसमें 8 लोगों की मौत हुई थी।
- चंबल में अवैध तौर पर चल रहीं नावों के प्रति हम संवेदनशील हैं। हमने 27 अगस्त को ही बैठक में घाट प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि घाटों पर संचालित नावों को रोका जाए। नाव वहीं चलती हैं, जहां आने-जाने के पुराने रास्ते हैं। नाव बंद करते ही लोग दबाव बनाना शुरू कर देते हैं। फिर भी आवश्यकता पड़ने पर हम पुलिस और प्रशासन का साथ लेकर कार्रवाई करेंगे। - अमित निकम, डीएफओ राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य मुरैना