
सिमरोल/महू। सिमरोल क्षेत्र की एक पंचायत में बड़े पैमाने पर पेड़ काटे जाने का मामला सामने आया है। हालांकि, ये पेड़ बबूल के ही थे, लेकिन नियमों को दरकिनार कर अधिकारियों की अनुमति के बिना काटे जा रहे थे। जिसके लिए पंचायत की ओर से अनुमति दी गई थी। सूचना मिलने पर एसडीएम ने कर्मचारियों को पहुंचाकर कटाई रुकवाई और पंचनामा बनवाया।
सिमरोल की शिवनगर पंचायत में जमीन मालिक आसिफ अली पिता सैयद अली ने अपनी 5 हेक्टेयर जमीन पर लगे करीब एक हजार बबूल के पेड़ काटने के लिए पंचायत से अनुमति मांगी। जरूरी नियमों से अंजान सरपंच मनोहर मस्करे ने एक कागज पर पेड़ काटने की अनुमति भी दे डाली। इसके बाद तकरीब 350 पेड़ काट दिए गए। इसकी सूचना समय रहते प्रशासन तक पहुंची और एसडीएम विजय अग्रवाल ने आरआई और पटवारी को मौके पर जाकर मुआयना कर पंचनामा बनाने को कहा।
आरआई शंकर सिंह डाबर ने बताया कि उन्होंने मौके पर पहुंचकर करीब 350 पेड़ काटे जाने का पंचनामा बनाया है और इतनी लकड़ी की जब्ती ली है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पूरे नियम नहीं अपनाए गए और न ही वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति ली गई। इसके चलते यह अपराध की श्रेणी में आता है।
कार्रवाई की जाएगी
--- मुझे सूचना मिली है। मैंने पटवारियों को जांच के लिए कहा है। पूरी जानकारी लेकर मामला बनेगा और कार्रवाई की जाएगी। -विजय अग्रवाल, एसडीएम, महू
अनुमति दी है
--- बबूल उनकी जमीन पर थे तो मैंने उन्हें काटने की अनुमति दे दी। -मनोहर मस्करे, सरपंच, शिवनगर
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जानकारी के अनुसार राजस्व की जमीन पर लगे बबूल के पेड़ों को काटने के लिए पंचायत द्वारा अनुमति दी जा सकती है। लेकिन यह असुविधा की स्थिति में कुछेक पेड़ों के लिए ही है। बड़ी संख्या में पेड़ काटने के लिए पंचायत को सूचित कर एसडीएम, तहसीलदार से अनुमति लेनी होती है। इसके बाद वनविभाग द्वारा लकड़ी का मूल्यांकन कराया जाता है और फिर कटाई की अनुमति दी जाती है। इस प्रक्रिया का पालन न किए जाने पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाने से पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ता है लेकिन इस मामले में इस तथ्य को नजरअंदाज किया गया।