By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Fri, 19 Jan 2024 12:17:01 PM (IST)
Updated Date: Fri, 19 Jan 2024 12:17:01 PM (IST)
Army Public School Mhow: नईदुनिया प्रतिनिधि, महू। महू छावनी को अंग्रेजों और होलकर स्टेट के बीच हुई संधि के बाद बसाया गया था। इसमें कई ऐसे निर्माण भी हैं जो अब हेरिटेज बन चुके हैं। इसी में महू छावनी परिषद क्षेत्र में आने वाले आर्मी पब्लिक स्कूल की इमारत भी है। जो कि 1866 में बनाई गई थी। इसे मिलिट्री अस्पताल बनाया गया था। बाद में जरूरत के अनुसार इसकी संरचना और मजबूती को देखकर कई उपयोग किए गए।
जब सब कुछ शांत हुआ तो 1994 से इसमें स्कूल संचालित किया जाने लगा। अब सेना द्वारा इस इमारत को ढहाया जा रहा है। स्कूल के लिए नई इमारत तैयार की गई और वहां शिफ्ट कर दिया गया है। इसको लेकर महू शहरवासी और पूर्व छात्रों ने इसे बचाने के लिए मुहिम छेड़ दी है।
आर्मी ट्रेनिंग कमांड की शुरुआत यहीं से हुई
महू शहर की
आर्मी पब्लिक स्कूल की हेरिटेज बिल्डिंग शहर के लिए एक धरोहर है। इसका निर्माण 1866 में किया गया था। 1866 से 1947 तक यह इमारत ब्रिटिश मिलिट्री अस्पताल के रूप में प्रयोग हुई। इसके बाद 1953 में आर्मी सिग्नलस कोर की ट्रेनिंग के लिए इस इमारत को आल आर्म्स विंग्स के रूप में इस्तेमाल किया गया।वर्तमान में शिमला स्थित आर्मी ट्रेनिंग कमांड (आरट्रेक) का जन्म 1991 में महू में ही हुआ था। 1991 से 1994 तक आरट्रैक ने इसी इमारत का उपयोग किया और उसके बाद 1994 से आज तक इसे आर्मी पब्लिक स्कूल संचालित किया जा रहा है।
157 साल बनाई थी दो मंजिला इको फ्रेंडली इमारत
आर्किटेक्चर के दृष्टिकोण से यह हेरिटेज स्ट्रक्चर बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह इमारत इको फ्रेंडली तकनीक से बनी है, जिसमें कमरे गर्मी में ठंडी और सर्दी में गर्म रहते हैं। 19वीं सदी की यह दो मंजिला इमारत में तीसरी मंजिल के लिए भी छत छोड़ी गई थी। जो उस समय की आर्किटेक्ट तकनीक का बेहतरीन नमूना है, क्योंकि उस समय दो मंजिला इमारतें भी कम ही बनती थी। उस समय
भारत में केवल दो शव गृह (मर्चूरी) थे। इसमें एक मुंबई अस्पताल और दूसरा केवल महू की इस इमारत में ही था।
पुरातत्व विभाग ने कहा यह हेरिटेज की श्रेणी में आता हैयह बिल्डिंग आज भी इंजीनियरिंग दृष्टि से सशक्त है। इसकी दीवारें अब भी बहुत मजबूत हैं और इसमें कुछ समय पहले तक क्लासेस भी लगाई जाती थी। सेना द्वारा दूसरे स्टेशन पर इसी तरह के स्ट्रक्चर संरक्षित किए गए हैं। पुरातात्विक दृष्टि से यह इमारत महत्वपूर्ण है। काफी समय पूर्व आर्मी के मिलिट्री कालेज आफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग की बोर्ड मीटिंग में इसे "हेरिटेज" का दर्जा दिया गया था।
तब इसे या इसमें उपयोग की गई सामग्री को न तो बेच सकते हैं ना ही गिरा सकते हैं। अभी तक इसका कोई भी भाग जर्जर नहीं हुआ है। स्कूल की नई बिल्डिंग भी इससे 80 फीट दूर बनाई गई है, ताकि इसे कोई नुकसान न पहुंचे। पुरातत्व विभाग ने भी इसे हेरिटेज की श्रेणी में माना है। पूर्व में इसके सामने एक "हेरिटेज बिल्डिंग" लिखा हुआ बोर्ड लगा हुआ था। जिसे कुछ समय पहले हटा दिया गया।
यह सभी लड़ रहे लड़ाई
इस इमारत को बचाने के लिए स्कूल के भूतपूर्व विद्यार्थी संगठन, भूतपूर्व सैनिक संगठन, रोटरी क्लब महू, सामाजिक विचार मंच, वैश्य समाज महू, इनरव्हील क्लब महू, सर्व ब्राह्मण महिला मंडल महू, सिंग फार ए कास महू, लायनेस चांदनी क्लब महू, बाबा अमरनाथ यात्रा ग्रुप, आइडियल ग्रुप, रिफार्म्स सोसाइटी महू, हम फाउंडेशन शाखा महू, युवा मंच महू, अग्रवाल महासभा व अन्य सामाजिक कार्यकर्ता इसे बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
कलेक्टर को हेरिटेज के रूप में संरक्षित करने के लिए भेजा पत्र
महू की आर्मी पब्लिक स्कूल वाली इमारत का हमने सर्वे किया था। हमारे नियमों के अनुसार 100 से पुरानी इमारत हेरिटेज की श्रेणी में आती है। पर यह पुरातत्व विभाग की हेरिटेज सूची में नहीं है। इसके लिए हमने जिलाधिकारी को इसे हेरिटेज के रूप में संरक्षित करने के लिए पत्र भी भेजा है।
-प्रकाश परांजपे, उपनिदेशक, पुरातत्व विभाग