मंदसौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले में स्थित गांधीसागर अभयारण्य में अफ्रीका, ईरान, नामीबिया या अन्य किसी देश से चीते आएंगे या नहीं- यह अभी तय नहीं हो पाया है। इसका फैसला भारतीय वन्य जीव संस्थान के विज्ञानियों का दल करेगा। यह दल नवंबर के अंतिम सप्ताह में अभयारण्य का दौरा करेगा। यह दल प्रदेश के चार अभयारण्यों का दौरा करेगा। इसके बाद तय होगा कि गांधीसागर अभयारण्य में चीतों की दहाड़ गूंजेगी या नहीं। हालांकि इसकी तैयारी में वन विभाग जुट गया है। राजगढ़ जिले से 500 चीतल गांधीसागर वन क्षेत्र में लाने का लक्ष्य रखा गया है और अभी तक 18 चीतल यहां लाकर छोड़े जा चुके हैं। ये चीते और अन्य मांसाहारी प्राणियों के शिकार के लिए यहां लाए जा रहे हैं।
मप्र में चीतों को बसाने में गांधीसागर अभयारण्य का दावा सबसे मजबूत लग रहा है। अरावली पर्वत श्रृखलाओं के बीच में बसे इस प्राकृतिक अभयारण्य में वह सब कुछ है जो वन्य प्राणियों के लिए चाहिए। यहां घास के मैदान हैं तो पहाड़ में कंदराएं हैं। इसके अलावा घना जंगल भी है। लगभग 368 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले अभयारण्य में जंगली पेड़ों में खेर, बेर, पलाश सहित अन्य प्रजातियां भी हैं। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण अथाह पानी से भरा जलाशय है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत सरकार की चीता परियोजना को अनुमति मिलने के बाद अब मप्र के मंदसौर जिले के गांधीसागर अभयारण्य, श्योपुर जिले के कूनो पालपुर नेशनल पार्क, सागर के नौरादेही अभयारण्य, शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में से एक जगह का चीते बसाने के लिए चयन होना है। सरकार ने इन चारों जगहों को चीते की बसाहट के अनुकूल माना है। अब नवंबर के अंतिम सप्ताह में भारतीय वन्य जीव संस्थान के विज्ञानियों का दल गांधीसागर सहित चारों जगहों का दौरा कर तय करेगा कि कौनसी जगह चीतों के अनुकूल है। हालांकि समिति अगर यहां का चयन भी करती है तो चीतों को आने में लगभग तीन साल का समय लगेगा।
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50 से अधिक तेंदुए, लकड़बग्घे, 225 पक्षियों की प्रजातियां हैं अभयारण्य में
गांधीसागर अभयारण्य में लगभग दो साल पहले आखिरी बार हुई गिनती में लगभग 50 तेंदुए मिले थे। इसके अलावा लकड़बग्घे, जंगली लोमड़ी भी काफी तादाद में हैं। बाकी छुटपुट वन्य प्राणी भी हैं। इसी साल हुई पक्षी गणना में 225 तरह के पक्षियों की प्रजातियां यहां मिली हैं। चीतों को यहां बसाने की योजना में उनके भोजन का प्रबंध अभी से वन विभाग ने शुरू कर दिया है। इसके लिए हिरण प्रजाति के चीतल को यहां लाकर बसाया जा रहा है।
* अभी भारत में चीते बसाने की योजना पर काम शुरू हो रहा है। वन्य प्राणी विज्ञानियों का दल नवंबर के अंतिम सप्ताह में गांधीसागर आ सकता है। उनकी रिपोर्ट पर ही तय होगा कि चीते गांधीसागर में आएंगे या नहीं। अभी तक हम गांधीसागर में 18 चीतल ला चुके हैं। यहां 500 चीतल लाने की योजना है।-संजय कुमार चौहान, वनमंडलाधिकारी, मंदसौर