Opium Poppy Crops: मंदसौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिले की प्रमुख नकद फसल अफीम पककर तैयार हो गई है। अफीम फसल तैयार होते ही किसानों ने खेतों पर सतर्कता बढ़ा दी है। अधिकांश किसान खेतों पर ही रात बिता रहे हैं। पशु-पक्षियों से बचाने के लिए अफीम खेत के आसपास जालियां बांधकर सुरक्षित किया गया है। जिले के कुछ क्षेत्रों में किसानों ने अफीम के डोडे में चीरा लगाने का काम भी शुरू कर दिया है। वहीं कुछ क्षेत्रों में किसान चीरा लगाने से पहले की तैयारी पूरी करने में जुटे हैं। किसानों का कहना है की राेजड़े खेतों में नुकसान पहुंचाते हैं, वहीं अफीम पर चीरा लगाने के बाद तोते भी अफीम को चट करते हैं, इसलिए खेतों को चारों तरफ से सुरक्षित किया गया है।
अफीम की फसल पकते ही किसान दिन से लेकर रात तक खेतों पर ही बिता रहे हैं। जिले में इस साल नियमित एवं सीपीएस मिलाकर करीब 18 हजार किसानों को पट्टे वितरित हुए थे। मल्हारगढ़ क्षेत्र में किसानों ने अफीम के डोडे में चीरा लगाना प्रारंभ कर दिया है। वहीं मंदसौर व जिले के अधिकांश क्षेत्र में किसान चीरा लगाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। किसान सबसे ज्यादा अफीम फसल की सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं। अफीम में फूल आने के बाद से ही किसानों ने खेतों में खड़ी अफीम की फसलों के आसपास लोहे की जालियां, तिरपाल बांधना प्रारंभ कर दिया था। अब अफीम तैयार होते ही किसानों ने सुरक्षा और मजबूत कर दी है।
अफीम खेतों पर किसान 24 घंटे पहरेदारी कर रहे हैं। रात भी खेतों पर ही बिता रहे हैं। किसानों का कहना है की अफीम की फसल को बच्चों की तरह पालते हैं, फसल तैयार हो चुकी है रोजड़े एवं अन्य पशु नुकसान न कर सके इसलिए खेतों पर ही रह रहे हैं। समीपस्थ गांव लालघाटी में चीरा लगाने की तैयारी कर रहे किसान अशोकसिंह ने बताया कि रविवार तक चीरा लगाने का काम शुरू किया जाएगा, इससे पहले सभी तैयारी की जा रही है। पूर्व के वर्षों में जिले में कुछ खेतों से अफीम फसलों से डोडे चोरी होने की घटनाएं भी हुई हैं। इसी को देखते हुए किसान अपने खेतों की सुरक्षा में मुस्तैद हैं।
अफीम की फसल में डोडे आने के बाद तोते सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचाव के लिए पूरे अफीम क्षेत्र में किसानों ने फसल के ऊपर नेट की जाल बांध दी। इससे पक्षी अंदर आकर डोडों को नुकसान नहीं पहुंचा सके। इसके साथ ही जानवरों से बचाने के लिए खेतों के अासपास जालियां भी दो माह पहले ही किसानों ने बांधना प्रारंभ कर दिया था।
प्रथम खंड
नियमित - 4581
सीपीएस - 1750
द्वितीय खंड
नियमित - 4760
सीपीएस - 1406
तृतीय खंड
नियमित - 3827
सीपीएस - 1650
बाजखेड़ी। जिले में काला सोना कहे जाने वाली अफीम की फसल में लुनाई-चिराई का काम शुरू हो गया है। किसान खेतों पर ही रात गुजार रहे हैं। अफीम की फसल तैयार होते ही किसान खेतों को सुना नहीं छोड़ रहे हैं। क्षेत्र में रोजड़े फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, इसके साथ ही चोरी का डर भी बना रहता है। इसी को देखते हुए किसान 24 घंटे खेतों पर ही रह रहे हैं। किसानों का कहना है कि अफीम की फसल को बहुत मेहनत से तैयार किया जाता है। अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए किसानों ने खेतों पर अस्थायी आशियाना भी बनाया है। ग्राम सेमली के किसान जमालुद्दीन अजमेरी, अशरफ़ अजमेरी ने बताया कि अफीम की फसल मे चीरा लगाने का काम शुरू होते ही खेतों ही निगरानी कर रहे हैं।