नईदुनिया प्रतिनिधि, मंदसौर : गुजरात एटीएस द्वारा भोपाल में जब्त 907 किलो ग्राम एमडी ड्रग्स मामले में गिरफ्तार हरीश आंजना के सहयोगी प्रेमसुख पाटीदार ने शुक्रवार को मंदसौर जिले के अफजलपुर थाने के बाहर अवैध पिस्टल से खुद के पैर में गोली मार ली। इसके बाद आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस का कहना है कि पूछताछ से बचने के लिए उसने खुद को घायल किया है।
प्रेमसुख आंजना के साथ एमडी ड्रग्स की सप्लाय के काम में भूमिका निभाता था। पुलिस को कई दिनों से उसकी तलाश थी। पुलिस के अनुसार, गुजरात एटीएस की पूछताछ में आरोपित हरीश आंजना ने बताया था कि मंदसौर के हथुनिया निवासी प्रेमसुख पाटीदार के साथ मिलकर वह भोपाल के कारखाने में बनाई जाने वाली एमडी ड्रग्स की सप्लाय करता था।
हरीश की गिरफ्तारी वाले दिन से ही प्रेमसुख गायब था। पुलिस उसकी तलाश कर रही थीं। पुलिस ने उसके रिश्तेदारों पर भी दबाव बनाया था। प्रेमसुख की कांग्रेस नेता राकेश पाटीदार व भाजपा नेता बंशीलाल पाटीदार से भी रिश्तेदारी है। मंदसौर के एसपी अभिषेक आनंद ने बताया कि पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए प्रेमसुख खुद के पैर में गोली मारकर थाने आ गया। उपचार के बाद उससे पूछताछ की जाएगी।
बता दें कि भोपाल में पिछले दिनों एमडी ड्रग्स बनाने का कारखाना पकड़ा गया था, जिसमें बड़ी मात्रा में एमडी ड्रग्स व अन्य सामग्री जब्त की गई थी। मामले की जांच नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और गुजरात एटीएस द्वारा की जा रही है। एनसीबी ने अभी तक तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए 14 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में लिया है। इसमें नासिक का सान्याल बाने, भोपाल का अमित चतुर्वेदी और मंदसौर का हरीश आंजना हैं।
भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र के कारखाना में एमडी ड्रग्स बनाने के लिए आरोपितों ने पार्ट्स खरीदकर मशीन को 'असेंबल' कराया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि किसी की नजर में न आएं। ये मशीनें आमतौर पर रासायनिक उर्वरक बनाने के काम आती हैं। मशीन लाने में पूंजी मंदसौर के शोएब लाला और इसी मामले में गिरफ्तार हरीश आंजना की लगी थी।
जांच एजेंसियों का अनुमान है कि मशीनरी में 40 से 50 लाख रुपये लगे होंगे। एमडी ड्रग बनाने में लगने वाले केमिकल और कच्चा माल खरीदने के लिए अमित चतुर्वेदी के पास पहले से लाइसेंस था, इसलिए उसे आसानी से सामग्री मिल जाती थी। यह जानकारी एनसीबी के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में सामने आई है। आरोपितों ने उर्वरक बनाने वाली फैक्ट्री को ही इसलिए किराए पर लिया था, जिससे लोगों का शक न हो।