आलोक शर्मा, नईदुनिया, मंदसौर। मंदसौर जिले को अफीम के अलावा उच्च गुणवत्ता के मसाला उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां 20 से 25 तरह की मसाला व औषधीय फसलें किसान ले रहे हैं और केरल के बाद मसाला फसलों का बड़ा हब मंदसौर के बनने की राह अब सुलभ हो रही है।
महाराष्ट्र की कंपनी ने यहां फूड प्रोसेसिंग उद्योग में लगभग 500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ही क्वालिटी कंट्रोल लैब व टिशू कल्चर प्रयोगशाला खोलने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। केंद्र सरकार की योजनानुसार यहां मसाला बोर्ड कार्यालय व अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल प्रारंभ हो जाता हैं तो फिर मंदसौर का नाम भी देश में मसाला हब में शामिल हो जाएगा।
मंदसौर, नीमच जिले में लहसुन, धनिया, मैथी, जीरा, मिर्च, इसबगोल, चंद्रथूर, असालिया, असगंध, तुलसी जैसी मसाला व औषधीय फसलों की बोवनी में अब लगभग 25 हजार किसान जुड़ गए हैं। ये सभी मिलकर 1.25 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खेती कर रहे हैं।
दोनों जिलों में उपज की गुणवत्ता अच्छी होने से महानगरों की बड़ी कंपनियों के माध्यम से विदेश तक भी उपज पहुंच रही हैं, पर अभी इसका फायदा सीधे किसानों को नहीं मिल रहा है। अब मध्य भारत के किसानों को मंदसौर के रास्ते मसालों के अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचने की राह मिलती नजर आ रही है। महाराष्ट्र की कंपनी जैन एरीगेशन यहां 500 करोड़ का निवेश करने जा रही है। कंपनी यहां उच्च स्तरीय क्वालिटी कंट्रोल लैब स्थापित करेगी।
इस लैब को यूरोपीय देशों के साथ ही उत्तर व दक्षिणी अमेरिकी राज्यों में भी मान्यता प्राप्त है। प्रदेश सहित आसपास के राज्यों के कृषक लैब में अपनी फसलों का टेस्ट कराकर गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त करेंगे और अपनी उपज को सीधे निर्यातकों को दे सकेंगे। इसके अलावा यहां टिशू कल्चर प्रयोगशाला भी खुलेगी, जो कम या ज्यादा तापमान के साथ ही कम और ज्यादा मानसून की स्थिति में भी अधिक नुकसान नहीं होने वाले पौधे तैयार कर कृषकों को उपलब्ध कराएगी।
मध्य भारत में मंदसौर जिले में सर्वाधिक मसाला फसलों के उत्पादन व उपयुक्त जलवायु देखते हुए राज्य के उद्यानिकी मंत्रालय ने मसाला बोर्ड के लिए स्वीकृति देते हुए फाइल केंद्र सरकार के उद्यानिकी मंत्रालय भेजी हैं। मसाला बोर्ड कार्यालय गुना के अधिकारियों ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है।
जिले में सेमिनारों का आयोजन कर इसके लिए ट्रेनिंग भी दे दी गई है। मंदसौर में कृषि उपज मंडी में पीछे के गेट की तरफ शेड के ऊपर बना हाल मसाला बोर्ड कार्यालय के लिए आरक्षित कर दिया गया हैं। इसी मंडी परिसर में अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल भी बनेगा।
मसाला फसलों के हब के रूप में मंदसौर के उभरकर सामने आने के बाद गत वर्ष अमेरिका के ज्वाइंट इंस्टीट्यूट फार फूड सेफ्टी एंड एप्लाइड न्यूट्रीशन (जिफ्सन) के कृषि वैज्ञानिक डा. क्लेर नेरोड एवं डा. जेम्स रशिंग मंदसौर आए थे। उन्होंने मंदसौर व आसपास की जलवायु को मसाला फसलों (लहसुन, मैथी, धनिया, जीरा सहित अन्य फसलों) के लिए उपयुक्त बताया था।
-किसानों को बोवनी के समय की सावधानियां बताई जाएंगी।
-प्रशिक्षण शिविर लगाकर उत्पादन में बढ़ोतरी के प्रयास होंगे।
-तकनीक का उपयोग कर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन पर जोर दिया जाएगा।
-भंडारण के समय गुणवत्ता बनाए रखने को लेकर किसानों को जागरूक करेंगे।
-आवश्यक संसाधन और गोदाम उपलब्ध कराएंगे।
-एक्सपोर्ट बढ़ावा देना व सुविधाएं उपलब्ध कराना।
मंदसौर में मसाला बोर्ड कार्यालय व क्वालिटी कंट्रोल लैब की स्थापना की फाइल स्वीकृति के लिए दिल्ली में है। जिले की जलवायु मसाला फसलों के लिए काफी उपयुक्त है।
एक निजी कंपनी ने फूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए लगभग 500 करोड़ के निवेश की इच्छा भी जताई है। वह यहां टिशू कल्चर लेब भी खोलेगी। -दिलीप कुमार यादव, कलेक्टर