नईदुनिया प्रतिनिधि, मंदसौर(Mandsaur News)। गांधीसागर अभयारण्य में चीतों को बसाने की तैयारी वन विभाग ने कर ली है। बस केंद्र सरकार की हरी झंडी का इंतजार है। यहां चीतों के भोजन के लिए हिरण-चीतल लाए जा रहे हैं, तो चीतों के लिए बनाए बाड़े के आसपास विचरण करने वाले तेंदुओं को दूसरी जगह भेजा जा रहा है।
अभी तक गांधीसागर से नौ तेंदुए खंडवा, भोपाल, ओंकारेश्वर, सिवनी भेजे गए हैं, पर इनको अपने मूल घर से बिछड़ना रास नहीं आ रहा है। इनमें से एक तेंदुए की देवास जिले के सतवास रेंज के जंगल में मौत हो गई है। इसका पता भी इसलिए चल गया कि गांधीसागर से छोड़े गए तेंदुओं को कालर आईडी लगाई गई है। इनकी मानिटरिंग मंदसौर से हो रही है।
खंडवा में छोड़े गए तीन तेंदुओं में से एक सतवास रेंज के जंगल में पहुंच गया था। वहीं उसकी मौत भी हो गई। इससे यह आशंका बलवती हो रही है कि तेंदुओं को उनके मूल निवास से हटाकर दूसरी जगह भेजना रास नहीं आ रहा है।
देवास के चिकित्सकों ने तेंदुए की मौत का कारण भूख या संघर्ष ही बताया है। अभी विसरा जांच के लिए जबलपुर भेजा गया है। तेंदुए की लोकेशन 15 अक्टूबर से एक ही जगह सतवास रेंज में आ रही थी। इस पर मंदसौर डीएफओ ने देवास डीएफओ को सूचना दी, तब घने जंगल में तेंदुआ मृत मिला।
डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि अभी तक गांधीसागर अभयारण्य से 11 तेंदुए स्थानांतरित किए गए हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने जो स्थान सुझाए हैं और जहां तेंदुओं की संख्या कम है, उन्हीं क्षेत्रों में रोटेशन के आधार पर तेंदुओं को भेजा जा रहा है।
अभी तक तीन तेंदुए खंडवा, एक ओंकारेश्वर, एक नरसिंहगढ़, तीन सिवनी, एक वन विहार भोपाल भेजे गए है, वहीं पांच तेंदुए गांधीसागर अभयारण्य के पश्चिमी व पूर्वी क्षेत्र में छोड़े गए हैं। इनमें से एक की मृत्यु देवास के सतवास रेंज में हो गई है। विसरा रिपोर्ट आने पर ही मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा।
वन विभाग ने चीतों को बसाने के लिए गांधीसागर अभयारण्य में तैयारियां पूरी कर ली है। चीतों के लिए यहां पर 6 क्वारंटाइन बाड़े बनाए गए है, जो 1500-1500 वर्ग मीटर के हैं। इसके साथ ही इनके इलाज के लिए भी अलग से दो बाड़े बनाए गए हैं। इलाके में चीतों की सुरक्षा के लिए सोल इलेक्ट्रिक फेंसिंग की गई है।