Kuber Temple in Mandsaur: मंदसौर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मंदसौर प्रदेश का ऐसा शहर है, जहां रावण को दामाद माना जाता है और यहीं उनके भाई धन के देवता कुबेर का मंदिर भी है। मंदिर में माथा टेकने बड़े-बड़े नेता और आइएएस-आइपीएस अफसर भी आते हैं। शहर से सटे खिलचीपुरा में स्थित श्री धौलागढ़ महादेव मंदिर के गर्भगृह में भगवान कुबेर शिव परिवार के साथ विराजे हैं। पूरे देश में श्री केदारनाथ के बाद मंदसौर ही ऐसी जगह है जहां शिवजी के साथ कुबेरजी विराजित है। मान्यता है कि मराठाकाल में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। कहते हैं पूजा-आराधना करने से धन संबंधी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। सिर्फ मनुष्य ही नहीं देवता भी कुबेर को धन का देवता मानते हैं। स्वयं भगवान शिव ने उन्हें धन का देवता नियुक्त किया है। धनतेरस पर अलसुबह से ही यहां पूजा-अर्चना का सिलसिला जारी है जो देर तक चलता रहेगा।
शहर से सटे खिलचीपुरा में श्री धौलागढ़ महादेव मंदिर में सातवीं शताब्दी में निर्मित भगवान कुबेर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। ऐसा दावा किया जाता है कि श्री केदारनाथ के बाद यहां ही शिव पंचायत में भगवान कुबेर विराजित हैं। पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर को जीर्णोद्धार के लिए शासन ने संरक्षण अधिसूचना में शामिल कर लिया है। विभाग अब जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव तैयार करेगा। खिलचीपुरा विश्व प्रसिद्ध अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर से लगभग एक किमी दूरी पर है। विश्व में दो ही स्थान ऐसे हैं, जहां शिव पंचायत में कुबेर भी शामिल हैं। एक चार धामों में शामिल श्री केदारनाथ तथा दूसरी मूर्ति मंदसौर के खिलचीपुरा स्थित धौलागढ़ महादेव मंदिर में है।
नरवाहन पर सवार कुबेरजी की तीन फीट ऊंची मूर्ति
पुरातत्व विभाग के डा. कैलाश शर्मा के अनुसार श्री धौलागढ़ महादेव मंदिर लगभग 1200 साल पहले बना मराठाकालीन है। इसी मंदिर में स्थापित भगवान कुबेर की मूर्ति उत्तर गुप्तकाल में सातवीं शताब्दी में निर्मित है। मराठाकाल में धौलागिरी महादेव मंदिर के निर्माण के दौरान इसे गर्भगृह में स्थापित किया गया था। मंदिर में भगवान गणेश व माता पार्वती की मूर्तियां भी हैं। 1978 में श्री कुबेर की मूर्ति की पहचान हुई। मूर्ति में कुबेर बड़े पेट वाले, चतुर्भुजाधारी सीधे हाथ में धन की थैली और तो दूसरे में प्याला धारण किए हुए हैं। नर वाहन पर सवार इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग तीन फीट है।
संरक्षण के लिए सूची में किया शामिल
प्राचीन व पुरा महत्व का मंदिर होने से इसकी संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है। विभाग द्वारा संरक्षण अधिसूचना में शामिल करने पर अब इसके जीर्णोद्धार व अन्य सुविधाओं के लिए जल्द प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
अलसुबह से होंगे धार्मिक अनुष्ठान
धौलागढ़ महादेव मंदिर के पं. हेमंत गिरी ने बताया कि कुबेर मंदिर में 23 अक्टूबर को सुबह चार बजे से विशेष अनुष्ठान शुरू होंगे। महाभिषेक, हवन व पूजन किया जाएगा। आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। सुबह कलेक्टर गौतमसिंह द्वारा पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद हवन प्रारंभ होगा। पूर्णाहुति रात 12:30 बजे होगी।
ताखाजी में है धन्वंतरि की मूर्ति
भारतीय ज्योतिष परिषद अध्यक्ष पं. शिवप्रकाश जोशी के अनुसार गांधीसागर अभयारण्य क्षेत्र में स्थित तक्षकेश्वर महादेव मंदिर (ताखाजी) में भगवान धन्वंतरि की मूर्ति है, जो भारत भर में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि धनतेरस पर आयुर्वेद के देव धन्वंतरि को पूजने से रोगों से मुक्ति मिलती है। यहां भी धार्मिक आयोजनों का दौर चलता रहेगा।