तरुण मिश्र, नईदुनिया, मंडला (Mandla News)। आदिवासी जिले मंडला में मतांतरण का मकड़जाल फैला है। जिले के मोहगांव ब्लाक में आदिवासियों को भ्रमित कर गैर हिंदू बताया जा रहा है।
मिशनरीज की स्वेच्छाचारिता का प्रमाण गुप्त गंगा क्षेत्र में दिखता है। यहां चबूतरे पर वर्षों से स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा को कुछ दिनों पहले उखाड़कर नाले में फेंक दिया गया।
अडियादर गांव की रहने वाली पार्वती ने मोहगांव थाने में एफआइआर दर्ज करा हिंदू बनने की गुहार लगाई है। वर्षों पहले उसके साथ उसकी दो बेटियों को बहला-फुसलाकर ईसाई बना दिया गया था।
भारत आदिवासी पार्टी के नेता भी मिशनरीज की मनमानी को हवा दे रहे हैं और आदिवासियों को गैर हिंदू बता रहे हैं। पार्टी ने 30 अक्टूबर को मोहगांव में आदिवासी सम्मेलन कराने आवेदन दिया है।
मोहगांव थाना प्रभारी क्रांति कुमार ब्रह्मे ने बताया कि धर्म परिवर्तन को लेकर दर्ज मामलों की विवेचना जारी है। देवी-देवताओं की प्रतिमा फेंकने के मामले में भी जांच की जा रही है। एसडीएम घुघरी सीएल वर्मा का कहना है कि धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाने को लेकर कोई शिकायत नहीं मिली है।
मंडला कलेक्टर सोमेश मिश्रा कहते हैं कि भारत आदिवासी पार्टी के नेताओं ने 30 अक्टूबर को मोहगांव में सम्मेलन आयोजित करने के लिए अनुमति मांगी थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। उन्हें हिदायत भी दी गई है कि बगैर अनुमति के कोई कार्यक्रम होगा तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मोहगांव के गुप्त गंगा क्षेत्र में हनुमानजी की प्रतिमा उखाड़कर गुप्त गंगा नाले में फेंक देने और भगवान के वस्त्र जलाने का मामला सामने आया था। इस बात से आक्रोशित ग्रामीणों तथा विहिप-बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने 20 अक्टूबर को मोहगांव थाने पहुंचकर मामला दर्ज कराया था। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से हनुमानजी की प्रतिमाओं को उखाड़कर फेंकने के कई मामले सामने आए हैं।
मोहगांव के खाले गिठोरी गांव के मुकेश नंदा ने एक अक्टूबर को एफआइआर दर्ज कराई है। शिकायत में उसने बताया है कि डेढ़ वर्ष पूर्व हुई उसकी पत्नी राजकुमारी की मृत्यु के बाद उसे लगातार धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया जा रहा है। मृत्यु के पूर्व राजकुमारी ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। इसके पूर्व राजकुमारी का ब्रेनवाश कर यह बताया गया था कि चर्च में प्रार्थना करने से वह बिल्कुल ठीक हो जाएगी।
मोहगांव थाने में अंडियादर गांव की रहने वाली पार्वती बाई पति परसराम परते ने एफआइआर दर्ज कराई है। उसने शिकायत में कहा कि सात वर्ष पूर्व उसने पति सहित ईसाई धर्म अपना लिया था। इस बीच जेठ रामप्रसाद की मृत्यु हो गई, लेकिन ईसाई धर्म में शामिल हो जाने के कारण समाज का कोई भी व्यक्ति उसके घर नहीं आया।
दूसरी तरफ मिशनरीज के लोग उसके यहां पहुंच गए और अंतिम संस्कार ईसाई पद्धति से करने का दबाव बनाने लगे। पार्वती बताती हैं कि उन्होंने न केवल मिशनरीज के लोगों को लौटा दिया, बल्कि अपने जेठ का अंतिम संस्कारण हिंदू पद्धति से किया।
पार्वती बताती हैं कि गिठोरी निवासी प्रताप मसराम पिता गन्नी मसराम, नरेंद्र मसराम पिता प्रताप मसराम और जितेंद्र मसराम पिता नेरश मसराम तथा मोहगांव रय्यत की सुदमा परते पति दस्सु परते आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
पार्वती ने बताया कि यह सभी मिलकर हमारी दो नाबालिग बेटियों को सात वर्ष पहले बहला-फुसलाकर घर से ले गए थे, उनमें से एक बेटी ने हिंदू धर्म में वापसी कर ली है, जबकि दूसरी इसके लिए तैयार नहीं है।
भारत आदिवासी पार्टी के संभागीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सिरश्याम आदिवासियों को हिंदू नहीं मानते। सुरेंद्र का मत है कि ईसाई और बौद्ध आदि धर्मों में समानता का व्यवहार देखने मिलता है, जो मोह लेता है।
सुरेंद्र ने 30 अक्टूबर को मोहगांव में आदिवासी सम्मेलन आयोजित करने के लिए अनुमति मांगी है। इस आयोजन को लेकर सुरेंद्र का कहना है कि प्रस्तावित कार्यक्रम पार्टी के सदस्यता अभियान और समाज में फैली अव्यवस्थाओं को लेकर चिंतन करने पर केंद्रित है।
मंडला जिले के आदिवासी सदियों से देवी-देवताओं की उपासना करते आ रहे हैं। रामनगर स्थित रानी दुर्गावती के महल के भीतर बने विष्णु और लक्ष्मी के मंदिर आदि इस बात को प्रमाणित भी करते हैं। हालांकि महल के मंदिर से देव प्रतिमाएं षड़यंत्र रचकर हटा दी गई हैं, लेकिन यहां लगा शिलालेख सनातन पूजन पद्धति की गवाही दे रहे हैं।