ओंकारेश्वर। भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरूप तक पहुंचने के लिए मंगलवार से प्रशासन ने काम शुरू कर दिया। इसके लिए पहले ज्योतिर्लिंग मंदिर की एक दीवार तोड़ी गई और बाद में ऊपरी हिस्से में सात से आठ फीट गहरा गड्ढा किया गया। इस दौरान कलेक्टर के साथ ही पुरातत्वविद और अन्य अफसर मौजूद रहे।
प्रशासन को थ्री डी सर्वे में यहां एक स्थान दिखाई देने की रिपोर्ट आने के बाद यह काम शुरू किया गया है।
लगभग 11 बजे प्रशासन ने सुखदेव मुनि के पास की दीवार को तोड़ना शुरू किया। कुछ देर बाद इसकी बजाय प्रशासन ने ऊपरी तल पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर के सामने आधा फीट चौड़ा गड्ढा करना शुरू किया।
लगभग सात से आठ फीट गहरा गड्ढा करने पर इसमें से रेत और गिट्टी मिली है। दिल्ली से आए पुरातत्वविद मनीष पंडित ने बताया कि यह रेत और गिट्टी 1952 के आसपास उपयोग की गई होगी। आवश्यक जांच के बाद इस गड्ढे को बंद कर दिया गया।
कलेक्टर विशेष गढ़पाले ने बताया कि मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है। थ्री डी सर्वे के दौरान सामने आया था कि महाकालेश्वर मंदिर के नीचे खाली स्थान दिखाई दिया। उस तक पहुंचने के लिए दस दिन में फिर से सर्वे किया जाएगा। भगवान के मूल स्वरूप तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ डीके नागेंद्र, संयुक्त कलेक्टर सौरभ सोनवणे, एसडीएम ममता खेड़े, तहसीलदार उदय मंडलोई सहित अन्य उपस्थित थे।
अनुभवी लोगों ने भी गर्भगृह होने की दी जानकारी
श्री ओंकारेश्वर ज्योतर्लिंग मंदिर ट्रस्ट द्वारा मंदिर में विगत माहों में सामने आई पुरातत्व संरचनाओं को लेकर सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वे की थ्री डी रिपोर्ट मिली है। इसमें शिखर के नीचे बड़े रिक्त स्थान की जानकारी प्राप्त हुई है जो कि मंदिरों की वास्तु योजना अनुसार गर्भगृह का स्थान अनुमानित है। ओंकारेश्वर के पुराने निवासियों, पुजारियों और पंडितों द्वारा भी अपने अनुभव के आधार पर वहां मंदिर का गर्भगृह होने की जानकारी दी है।
मंगलवार को सर्वे को आगे बढ़ाने के लिए रिक्त स्थान में कैमरे का प्रवेश कर सर्वे की कार्रवाई की गई। अब तक सही स्थान प्राप्त नहीं किया जा सका है। अब मंदिर में पुरातत्व धरोहर के संरक्षण और दर्शनार्थियों की अधिकतम सुविधा के लिए यह सर्वे किया जाएगा। मंदिर के पुराने स्वरूप को यथावत पुन: वैसा ही लाने के लिए मंदिर की दीवार और फर्श पर पत्थरों का काम किया जा रहा है।
रखी गई पूरी तरह पारदर्शिता
काम के दौरान पूरी तरह पारदर्शिता रखी गई। लैपटॉप और एलसीडी के माध्यम से पूरी कार्रवाई सभी को दिखाई गई। कलेक्टर ने पुरातत्वविद के साथ मीडिया से भी चर्चा की और पूरी जानकारी दी। बताया गया कि भगवान का मूल स्वरूप शिखर के नीचे होता है लेकिन वर्तमान में ओंकारेश्वर में ऐसा नहीं है। इसी वजह से यह कार्रवाई की जा रही है।
विधायक ने पहुंचकर ली जानकारी
मांधाता विधायक नारायण पटेल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग नईदिल्ली के हेरिटेज आर्किटेक्ट मनीष पंडित और कलेक्टर विशेष गढ़पाले से पूरी जानकारी ली। साथ ही उन्होंने मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों से भी चर्चा की।