Sant Singaji Jayanti 2023: खंडवा, बीड़ (नईदुनिया न्यूज)। निमाड़ के निर्गुणी संत सिंगाजी महाराज का समाधि स्थल पर आज सिंगाजी महाराज का 504 वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इसकी सिंगाजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा तैयारी की गई है। समाधि स्थल और परिसर को रंगबिरंगी रोशनी से सजाया गया है। आज सुबह से धार्मिक आयोजन शुरू हुए जो शाम तक चलेंगे। संत सिंगाजी महाराज का जन्म संवत 1576 में वैशाख सुदी नवमी को खजूरी जिला बड़वानी में हुआ था। अपने जीवनकाल में संत सिंगाजी महाराज ने अनेकों चमत्कार किए।
पशुओं के रक्षक भी संत सिंगाजी महाराज को कहा जाता है। उन्होंने अपने गुरु मनंग स्वामी के आदेश को मानते हुए संवत 1616 सावन सुदी नवमी को पिपलिया वर्तमान में सिंगाजी जिला खंडवा में जीवित समाधि ली थी। तब से यहां पर शरद पूर्णिमा पर दस दिन का मेला लगता है। मालूम हो कि संत सिंगाजी समाधि स्थल अब धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित हो रहा हैं। यहां पर प्रदेश सरकार के द्वारा पर्यटन विभाग के माध्यम से करोड़ों रुपये के विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
संत सिंगाजी महाराज की समाधि स्थल पर 12 महीने कच्ची केरी का प्रसाद चढ़ता है। इस कच्ची केरी को लेकर मान्यता है कि कच्ची केरी के प्रसादी से नि:संतान दंपतियों को संतान का सुख मिलता है। इसके लिए यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं। कच्ची केरी का प्रसाद महंत के पास से लेकर जाते है। महंत रतनलाल महाराज ने बताया कि आज समाधि स्थल पर संत सिंगाजी महाराज का 504 वां जन्म महोत्सव मनाया जा रहा है।
सुबह छह बजे बाबा की चरण पादुकाओं का पंचामृत से अभिषेक कर आरती की गई। सुबह 11 बजे महा आरती होगी। महाराज को केरी का भोग लगाया जाएगा। शाम के समय 164 दीपों को दीप स्तंभ पर प्रज्जवलित किया जाएगा। शाम सात बजे संध्याकालीन आरती होगी। दिन भर समाधि स्थल पर हलुआ प्रसादी वितरण के साथ संत सिंगाजी महाराज के भजन होंगे।
खंडवा जिले की पुनासा तहसील में बीड़ से दस किलोमीटर दूर संत सिंगाजी की समाधि स्थित है। इंदिरा सागर बांध के बैकवाटर के बीच यह स्थित है। बांध बनने से पहले से यहां समाधि स्थित है। 463 साल से संत सिंगाजी महाराज की समाधि पर अखंड ज्योति जल रही है। यहां आने वाले सभी सिंगाजी भक्तों और पशुपालकों की मन्नत पूरी होने पर निशान पेश करते है। मां नर्मदा के बैकवाटर में स्थित सिंगाजी धाम तीन ओर से पानी से घिरा है। आस्था के साथ ही यह पर्यटन स्थल के रूप में भी आकर्षण का केंद्र है।