Omkareshwar Dam Solar Plant : खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। मध्य प्रदेश में पॉवर हब के रूप में पहचान बना चुके खंडवा जिले में अब विश्व का सबसे बड़ा पानी पर तैरने वाला सोलर एनर्जी प्लांट आकार लेगा। इसके लिए ओंकारेश्वर बांध के जलाशय का चयन प्रस्तावित है। यहां कावेरी नदी के संगम पर 600 मेगावॉट क्षमता के फ्लोटिंग सोलर पैनल लगाए जाएंगे। इससे गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलने के साथ ही जलाशय के पानी का वाष्पीकरण भी रुकेगा।
जिले में इंदिरा सागर बांध से एक हजार, ओंकारेश्वर बांध से 520 मेगावॉट के अलावा संत सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की दो इकाइयों से 2520 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। वहीं अब ओंकारेश्वर बांध परियोजना के जलाशय में सौर ऊर्जा के उत्पादन की योजना है। शनिवार को प्रदेश के प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे ने ऊर्जा विकास निगम के अधिकारियों के साथ ओंकारेश्वर पहुंचकर बांध क्षेत्र का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि ओंकारेश्वर के बैकवाटर में प्रस्तावित फ्लोटिंग सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट को दो साल में आकार देने की योजना है। यहां प्रस्तावित प्रोजेक्ट विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा प्लांट होगा। इससे सस्ती और गुणवत्तापूर्ण बिजली मिल सकेगी।
मध्य प्रदेश का पहला फ्लोटिंग प्लांट
मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और नर्मदा हाइड्रोइलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कारपोरेशन के संयुक्त उपक्रम के रूप में आकार लेने वाले इस सोलर प्लांट से हर साल करीब 1200 मिलियन यूनिट सोलर बिजली का उत्पादन हो सकेगा। इसे लेकर दोनों के बीच प्रारंभिक दौर की चर्चा भी चुकी है। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने कम दर पर बिजली उत्पादन करने वाली अन्य कंपनी को भीप्लांट लगाने की अनुमति देने का विकल्प भी रखा है। एसडीएम पुनासा डॉ. ममता खेड़े ने बताया कि अधिकारियों ने ओंकारेश्वर बांध सहित प्रस्तावित स्थल का प्रारंभिक सर्वे किया है।
जानकारों के अनुसार बांध के जलाशय में करीब दो हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सोलर पैनल लगाकर बिजली का उत्पादन होगा। करीब तीन हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट से वर्ष 2022-23 तक बिजली के उत्पादन का लक्ष्य है। इसके अलावा प्रदेश में हाल ही में रीवा में 750 मेगावॉट क्षमता का एशिया का सबसे बड़ा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क 1500 हैक्टेयर में शुरू हुआ है, जबकि ओंकारेश्वर का सोलर प्लांट पानी पर तैरने वाला होने से जमीन नहीं खरीदनी पड़ेगी। इससे परियोजना की लागत कम आने से सस्ती बिजली मिल सकेगी।
पानी पर तैरेंगे पैनल
सोलर पैनल जलाशय में पानी की सतह पर तैरते रहेंगें बांध का जलस्तर कम-ज्यादा होने पर यह स्वतः ही ऊपर-नीचे हो सकेंगे। तेज लहरें और बाढ़ का भी इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सूर्य की रोशनी से निरंतर बिजली का उत्पादन मिलता रहेगा।