Dada Darbar Khandwa: मनीष करे, खंडवा। गुरु-शिष्य परंपरा का महासंगम गुरु पूर्णिमा पर श्री दादाजी धूनी वाले के दरबार में देखने को मिलता है। दरबार में गुरु केशवानंदजी (बड़े दादाजी) के समीप ही शिष्य हरिहर भोले भगवान (छोटे दादाजी) भी समाधिस्थ है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर देशभर से श्रद्धालु समाधि दर्शन के लिए आते हैं। दो दिनों में आंकड़ा तीन से चार लाख तक पहुंच जाता है। इतनी भीड़ उमड़ने के बाद भी दरबार में छोटे दादाजी महाराज द्वारा बनाए गए नियम और मर्यादाओं का अक्षरश: पालन किया जाता है।
दरबार में दर्शन-पूजन व संचालन को लेकर छोटे दादाजी द्वारा वर्ष 1937 में तय किए गए नियमों के अनुसार ही होता है, जो आश्रम के प्रवेश द्वार के सामने ही लकड़ी के बोर्ड पर अंकित है। जमात परंपरा वाले दादाजी दरबार की मान्यताएं अनूठी और अद्भुत है। दरबार में व्यवस्थाओं के संचालन के लिए लगे बोर्ड नोटिस तरह से दादा दरबार में स्पष्ट लिखा है कि दादाजी को न मानने वाले यहां नहीं आवें। यहां के नियमों का उल्लघंन करने वाला जुर्मदार समझा जाएगा। उस पर फौजदारी कार्रवाई होगी। साल के 365 दिन और 24 घंटे दर्शनार्थियों के लिए खुला रहने वाले इस दरबार में पंडे-पुजारी की बजाए सेवाधारी व्यवस्थाओं का संचालन करते हैं।
भक्तों को दर्शन-पूजन और हवन करवाने के लिए यहां पंडे-पुजारी की परंपरा नहीं है। भक्त स्वयं समाधि पर अपने हाथों से फूल-प्रसादी व चादर अर्पित करने के साथ ही वर्ष 1930 से प्रज्जवलित धूनीमाई में हवन भी स्वयं करते हैं। प्रसादी के रूप में दादाजी महाराज को शकर और टिक्कड़ का भोग लगता है।
दादाजी दरबार में की जाती है मां नर्मदा की आरती
अवधूत संत दादाजी धूनी वाले मां नर्मदा के भक्त होने से दरबार में मां नर्मदा की आरती होती है। आमतौर पर जिस भगवान या संत का मंदिर या आश्रम होता है, वहां उनकी ही आरती भक्तों द्वारा की जाती है। खंड़वा का दादाजी दरबार में चार पहल पुण्य सलिला मां नर्मदा की आरती की जाती है। गुरु के प्रति सम्मान और गुरु-शिष्य परंपरा व मर्यादा का पालन करते हुए शिव स्वरूप बड़े दादाजी की समाधि पर ही बेलपत्र चढ़ता है। शिष्य रहे विष्णु स्वरूपा छोटे दादाजी को बेलपत्र की जगह तुलसी पत्ता और मंजरी चढ़ाई जाती है। इसी तरह दादाजी की समाधि पर परिसर के बगीचे में लगने वाले सुंगधित फूल ही चढ़ाएं जाते हैं। बड़े दादाजी को चढ़ने वाले माला से छोटी माला छोटे दादाजी को चढ़ाई जाती है।
दादाजी दरबार में समाधि स्नान प्रतिदिन दो बार प्रात: चार और शाम चार बजे होता है। बड़े और छोटे दादाजी महाराज की समाधियों का स्नान गंगा और नर्मदा जल से किया जाता है। स्नान के लिए गंगा जल हरिद्वार में हर की पौड़ी से आता है। वहीं नर्मदा जल खेड़ीघाट से दादाजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा बुलवाया जाता है। इन्हे दरबार में बने गंगाजली भवन में पूरी मर्यादा से रखा जाता है। इसके अलावा दादाजी महाराज को लगने वाले भोग सहित अन्य कार्यों में परिसर स्थित कुएं हरिहर सागर के पानी का उपयोग किया जाता है।
दादाजी दरबार में गुरु-शिष्य परंपरा की मर्यादा और छोटे दादाजी महाराज द्वारा तय किए गए नियमों का पूरी तरह पालन किया जाता है। दरबार में रविवार को पूर्णिमा उत्सव भी मान्यताओं के अनुसार ही मनाया जा रहा है। पंचाग के अनुसार पूर्णिमा रविवार दोपहर 2.21 बजे से सोमवार को शाम 5.08 बजे तक ही है। जबकि दरबार में सायं 7.45 बजे होने वाली महाआरती पूर्णिमा तिथि में करने की परंपरा है। - शांतनु दीक्षित, ट्रस्टी दादाजी दरबार ट्रस्ट