MP Assembly Election 2023: यशवंतसिंह पंवार, झाबुआ: पड़ोसी जिले दाहोद की सभी छह जनजातीय सीटें जीतकर भाजपा ने एक बड़ा इतिहास रच दिया है। नतीजे वहां से लगे झाबुआ-आलीराजपुर जिले की कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा चुके हैं। अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना हैं। ऐसे समय में जनजातीय सीटों से आए परिणामों ने भाजपा को एक नई ऊर्जा दी है। स्थिति दाहोद जिले में हर सीट पर अलग-अलग थी, मगर विपक्षी वोट बिखरने के कारण चार सीट प्रबंधन से वहीं दो सीटों पर भाजपा ने एकतरफा जीत अर्जित कर ली। अब इन हवाओं का असर यहां की जनजातीय सीटों पर भी पड़े बगैर नहीं रहेगा। गुजरात में तो भाजपा का सिक्का 27 साल से चल रहा है लेकिन दाहोद जिले की जनजातीय सीटें उसके हाथ सौ फीसदी नहीं आ रही थीं। यह पहला मौका है जब मजबूत किले भी ढह गए। हालांकि इसकी मुख्य वजह आप की मौजूदगी बनी है। दिल्ली व पंजाब की तर्ज पर मतदाता का एक वर्ग उसे विकल्प के रूप में देख रहा था। इसके चलते कांग्रेस को जबर्दस्त नुकसान उठाना पड़ा।
नाराजगी एक दिशा में नहीं
गरबाडा, दाहोद, लिमखेड़ा व फतेपुरा सीट का चुनाव परिणाम यह दर्शा रहा है कि मतदाताओं में नाराजगी जरूर थी लेकिन वह एक दिशा में नहीं थी। कहीं आप को तो कहीं कांग्रेस उम्मीदवार को विधायक बनाने की सोच चली और दोनों दलों के ही मत विभाजित हो गए। ऐसे में भाजपा की राह आसान हो गई। झालोद व देवगढ़ बारिया में भाजपा ने अवश्य एकतरफा जीत प्राप्त की है। यहां लगा ही नहीं कि कोई मुकाबला हुआ।
परिणाम एक नजर में
- 06 विधानसभा दाहोद जिले में
- 06 सीटें ही पहली बार भाजपा जीती
- 02-02 सीटों पर कांग्रेस-आप ने खेल बदला
- 02 सीटें भाजपा ने एकतरफा जीती
आप की मौजूदगी का प्रभाव
गरबाड़ा- लंबे समय से कांग्रेस की चंद्रिका बेन बारिया अजेय योद्धा बनी हुई थीं। आप पहली बार मैदान में उतरी। दोनों आप व कांग्रेस को मिलाकर 67,482 वोट मिले जबकि भाजपा ने 62,276 वोट लेकर इस गढ़ को ढहा दिया। कांग्रेस को 34,391 व आप को 33091 वोट मिले। प्रदेश से पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेष दुबे व जिनेंद्र सुराना को तीन माह तक समन्वय करने का दायित्व मिला। भाजपा का एक ही लक्ष्य था इस गढ़ को ढहाना और कामयाबी हासिल हो गई है।
दाहोद- कांग्रेस के डेढ़ दशक का कब्जा इस बार आप के आने से खिसक गया। दोनों विपक्षी दलों को 76,616 वहीं भाजपा को 72198 वोट मिले। यहां विकास के नारे का भी असर पड़ा। कांग्रेस को 43130 वहीं आप को 33486 वोट प्राप्त हुए। अस्पतालों की इस नगरी को अब स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश तेज होने की संभावनाएं हैं।
कांग्रेस ने खेल बिगाड़ा
लिमखेड़ा- भाजपा के इस गढ़ में बड़ी आबादी आप प्रत्याशी को गांधीनगर भेजना चाह रही थी, मगर कांग्रेस ने अपनी जमानत जब्त होने से पहले उनके सारे सपने तोड़ डाले। भाजपा ने 69,417 वोट हासिल किए और पहली बार चुनाव लड़ रही आप के वोट का आंकड़ा 65,754 पर चला गया। कांग्रेस की बेशक जमानत नहीं बची, मगर 8,093 वोट लाकर उसने परिणाम को प्रभावित कर दिया।
फतेपुरा- यहां भी कांग्रेस ने परिणाम प्रभावित किया। भाजपा को 59,581 वोट मिले। दूसरे नंबर पर रही आप को 40,050 वहीं कांग्रेस को 29,479 वोट मिल गए।
भाजपा की एकतरफा जीत
झालोद- कुशलगढ़ व थांदला क्षेत्र से लगी यह सीट भाजपा ने दमखम से जीती। भाजपा को 82,429 वोट मिले जबकि कांग्रेस 21,863 व आप 46,897 वोट के आंकड़े पर ही रुक गई। बबलू सकलेचा व कल्याण डामोर को जिले से यहां भाजपा ने भेजा था।
देवगढ़ बारिया- कांग्रेस ने एनसीपी के लिए यह सीट गठबंधन में छोड़ी। बाद में एनसीपी के उम्मीदवार ने मैदान ही छोड़ दिया। मुकाबला भाजपा व आप के बीच ही हुआ और एक लाख से अधिक मत लाकर भाजपा ने 44 हजार के अंतर की बड़ी जीत दर्ज करवा ली।
अब आगे क्या होगा
झाबुआ-आलीराजपुर जिले के दाहोद जिले से निकट के संबंध हैं। रोटी-बेटी के रिश्तों में बंधे इन जिलों को भले ही प्रशासनिक तौर पर दो राज्यों में विभाजित कर दिया गया हो मगर हमेशा से उनकी सामाजिक-राजनीतिक सोच एक जैसी ही रही है। झाबुआ-आलीराजपुर जिले की पांच में से चार सीटें कांग्रेस के पास हैं। भाजपा केवल जोबट उपचुनाव जीतकर एक ही सीट ले पाई है। ऐसे में अब दाहोद जिले की राजनीतिक लहरें इस क्षेत्र को भी अपने प्रभाव में लेंगी। कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। यदि वह अनसुनी करती है तो 2003 के चुनावी इतिहास की पुनरावृत्ति 2023 में फिर आसानी से संभव हो सकती है।