मेघनगर (नईदुनिया न्यूज)। प्रदेश का प्रवेश द्वार तथा जिले केप्रमुख मेघनगर रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन ट्रेनों से हजारों की संख्या में यात्रियों का आवागमन होता है। यात्री ट्रेनों के साथ ही यहां के रेक पाइंट पर कई वस्तुओं की लोडिंग एवं अनलोडिंग होती है। इस तरह राजस्व की दृष्टि से केंद्र तथा राज्य सरकार को भरपूर आय देने वाला यह महत्वपूर्ण स्टेशन है।
स्थानीय नगर निकाय को भी स्थानीय रेलवे से अप्रत्यक्ष रूप से राजस्व प्राप्त होता है। स्थानीय व क्षेत्रीय नागरिकों को आवागमन की सबसे सरल तथा सस्ती सुविधा उपलब्ध करवाने वाले इस रेलवे स्टेशन को नगर की जीवन रेखा कहा जाता है। व्यापार, व्यवसाय, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा नौकरीपेशा वर्ग व तीर्थ स्थलों को जो.डने वाला यह रेलवे स्टेशन 24 घंटे ट्रेनों की सुविधा प्रदान करता है।
मेघनगर रेलवे स्टेशन के इतिहास के पन्नाों में तत्कालीन रेल मंत्री माधवराव सिंधिया लालूप्रसाद यादव तथा पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जैसे कई शीर्ष नेताओं की उपस्थिति दर्ज है। वही बालीवुड की प्रसिद्ध फिल्म द बर्निंग ट्रेन में भी मेघनगर रेलवे स्टेशन का उल्लेख हुआ है।
बड़े-बड़े गड्ढे वाली टूटी-फूटी सड़क वार्ड की पहचान
रेलवे स्टेशन के निकास द्वार से ही वार्ड क्रमांक पांच शुरू होता है। इस वार्ड को महात्मा गांधी मार्ग के नाम से जाना जाता है। यहां कदम रखते ही बड़े-बड़े गड्ढे वाली टूटी-फूटी सड़क, बेतरतीब तरीके से खड़े दोपहिया वाहन इसकी पहचान है। बिजली विभाग की मेहरबानी से यहां कभी कभार रात में स्ट्रीट लाइट और सोडियम वेपर लैंप चालू हो जाते है, जो दिन में भी चालू रहते हैं। दिन में यात्री गाड़ियों के आवागमन के समय भारी-भरकम भीड़ का नियंत्रण बिना यातायात पुलिस के स्वयं नागरिक ही कर लेते हैं। इस वार्ड की दुर्दशा में बची कमी नल जल योजना के ठेकेदार ने खोदाई में सड़कों का नामोनिशान मिटाकर पूरी कर दी है।
धूल के गुबार से सांस लेना भी मुश्किल
- राजेश सोलंकी का कहना है कि मुख्य मार्ग की सड़क बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो गई हैं। वर्षा में गड्ढों में पानी भर जाने से दुर्घटना का भय बना रहता है। रेक पाइंट पर मालगाड़ियों के लोडिंग अनलोडिंग होते समय भारी वाहनों के आवागमन से कई बार ट्रैफिक जाम हो जाता है। धूल के गुबार से सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इस संबंध में शीघ्र ध्यान दिए जाने की जरूरत है ।
- दिलीप बाबू भूरिया का कहना है कि रेलवे स्टेशन से पुरानी फाटक तक रोड बनाने से बड़े वाहन सीधे बाहर ही निकल जाएंगे, जिससे यातायात का दबाव कम हो सकता है।
- विजेंद्र गोपाल केवट का कहना है कि रेलवे स्टेशन के समीप बने आजाद चौक पर एक सुसज्जित रोटरी की आवश्यकता है। जिससे नगर की ट्रैफिक व्यवस्था तो सुधरेगी ही साथ ही नगर के सौंदर्य में भी अभिवृद्धि होगी।