Osho of Jabalpur: जबलपुर,नईदुनिया प्रतिनिधि। जबलपुर का शासकीय महाकोशल कला एवं वाणिज्य कालेज अब ओशो के नाम से पहचाना जाएगा। कालेज के नाम के आगे ओशो दर्ज होगा। इस आशय का निर्णय जिला योजना समिति की बैठक में पहले ही हो चुका है, सिर्फ आदेश जारी होने का इंतजार है। कालेज के प्राचार्य ने इस संबंध में कहा कि आचार्य रजनीश (ओशो) यहां पर अध्यापन कार्य करवाते थे। उनके सम्मान में ओशो नाम का प्रस्ताव पहले दिया गया था जिस पर योजना समिति में सहमति मिल गई है। जैसे ही आदेश जारी होंगे नाम दर्ज करवा दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि जिले का जबलपुर शहर का अग्रणी शासकीय महाकोशल कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय का पूर्व नाम राबर्टसन कालेज था। कालांतर में साइंस व आर्ट के विभाग के साथ यह साइंस कालेज व महाकोशल कालेज के रूप में विभक्त हो गया। आचार्य रजनीश यहां प्राध्यापक थे। वे दर्शनशास्त्र विषय में निष्णात थे। उनका अध्यापक अद्वितीय था। जो एक बार उनको सुन लेता वह मुरीद हो जाता। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी व्याख्या शैली गजब की मौलिक थी। वे पंरपरा से हटकर नवाचार को महत्व देते थे। यही वजह है कि वे अपना स्वयं का दर्शन स्थापित करने में समर्थ हुए। इस प्रक्रिया में महाकोशल कालेज के दिनों का विशेष महत्व रहा है।
महाकोशल कालेज में नियुक्त रहने के दौरान आचार्य रजनीश जिस कुर्सी पर बैठा करते थे, वह ओशो चेयर में रूप में महाकोशल कालेज को देश-दुनिया में ख्याति दिला चुकी है। आज भी यह कुर्सी महाकोशल कालेज की शोभा बढ़ा रही है। ज्ञात हो कि आचार्य रजनीश एक आध्यात्म गुरु थे और दुनियाभर में उनके करोड़ों की संख्या में शिष्य हैं। उनका निधन जनवरी 1990 में हुआ था। उन्होंने जबलपुर में ही अपनी पढ़ाई और प्राध्यापक के रूप में शिक्षा भी दी थी। जबलपुर में नौकरी के बाद वे आध्यात्म से जुड़ गए और विश्व भर में भ्रमण कर आध्यात्म व शांति की शिक्षा देकर ओशो कहलाए।
इनका कहना है
आचार्य रजनीश ओशो के नाम कालेज का नाम रखने का प्रस्ताव जिला योजना समिति में गया था जहां से मंजूरी मिल चुकी है। जल्द ही आदेश जारी होगा जिसके बाद नाम में बदलाव किया जाएगा।-डा.एसी तिवारी,प्राचार्य शासकीय महाकोशल कला एवं वाणिज्य कालेज