जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अब समय आ गया है कि हम शोध पर ज्यादा जोर दें। मछली से जुड़े शोध कार्यों को हर स्तर पर बढ़ाए और लोगों को इससे जुड़े। इस काम में वेटरनरी विश्वविद्यालय के फिशरी कॉलेज के विज्ञानी मदद कर सकते हैं। उन्हें हर संभव कदम उठाकर मौजूदा हालात को देखते हुए अनुसंधान करना चाहिए। यह बात फिशरी कॉलेज को और बेहतर बनाने के लिए कुलपति ने कॉलेज प्रबंधन के अधिकारियों से कहीं।
वेटरनरी विवि के कुलपति प्रो. एसपी तिवारी के निर्देशन में फिशरी कॉलेज में इन दिनों लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इनमे कुछ कार्यशाला बायोफ्लॉक कल्चर पर आयोजित हो रही हैं। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड द्वारा इन कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
फिशरी कॉलेज के डीन डॉ. आरपीएस बघेल ने कहा कि इस तरह के आयोजन से ही शोध का दायरा बढ़ेगा। मछली पालन के लिए पालक को हर संभव मदद करनी होगी, ताकि वह इस ओर जागरूक हो। उन्होंने कहा कि मछली पालकों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देने के लिए ऐसे माध्यम चुनना होगा जो उन तक सरल और आसानी से पहुंच सके।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा लगातार वेटरनरी विश्वविद्यालय को फिशरी कॉलेज में इस तरह के आयोजन आयोजित करने के लिए कहा जा रहा है। कॉलेज प्रबंधन द्वारा कई कार्यशाला के जरिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसकी मदद से छात्रों को रोजगार मिल सके ।
आईसीएआर ने कहा है किइंटेन्सिव क्लचरन पर फिशरी कॉलेज और फिशरीज विभाग द्वारा लगातर प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाए, जिससे पालक और शोधकर्ता ,दोनों को फायदा होगा। फिशरी विभाग ने मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं इस कड़ी में मछली उत्पादन को दो से तीन लाख मीट्रिक टन तक ले जाने का लक्ष्य तय किया है ना है। प्रधानमंत्री मछली संपदा योजना के तहत सब्सिडी भी दी जा रही है।