जबलपुर नईदुनिया प्रतिनिधि। मकान का नक्शा पास कराना अब भी टेढ़ी खीर, 1900 आवेदन लंबित- नक्शा जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि, दीवाली सिर पर हैं लोग अपने मकानों का विस्तार कराना चाह रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो नया मकान व दुकान बनवाना चाह रहे हैं। लेकिन नगर निगम से मकान-दुकान का नक्शा पास कराने की आनलाइन व्यवस्था के बावजूद आवेदकों को पसीना बहाना पड़ रहा हैं। जेब ढीली करनी पड़ रही है। नक्शा पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। नियम ताे ये है कि आनलाइन नक्शा स्वीकृति का आवेदन करने पर 30 दिन के भीतर नक्शा पास हो जाना चाहिए, लेकिन आर्किटेक्ट,सलाकार और नगर निगम के भवन शाखा की संगामित्ती के चलते सात से आठ माह बाद भी नक्शे पास नहीं हो रहे हैं। सिर्फ उन्हें के नक्शे पास हो रहे जो आवेदक जेब ढीली कर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते एक वर्ष में मकान- दुकान, भवन का नक्शा पास कराने के लिए पांच हजार से ज्यादा आवेदकों ने आनलाइन आवेदन किया इसमें तीन हजार आवेदनों का ही निराकरण हुआ। 1900 से ज्यादा नक्शा स्वीकृति के आवेदन अब भी लंबित पड़े हैं। इसमें 1671 आवेदन सलाहकार स्तर पर और 258 अधिकारी स्तर पर लंबित है।
30 दिन में पास करने का नियम लग रहे महीनों :
आनलाइन नक्शा पास कराने निगम मुख्यालय के चक्कर न लगाने पड़े इसके लिए वर्ष 2019 में आटोमेटिक बिल्डिंग परमिशन एप्रुवल सिस्टम (एबीपीएस-2) लागू किया गया था। दावा किया जा रहा था कि इस नक्शा स्वीकृति की इस अानलाइन व्यवस्था के बाद किसी आवेदक को नक्शा पास कराने नगर निगम मुख्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। 30 दिन के भीतर ही आनलाइन नक्शा पास हो जाएगा। लेकिन इस आनलाइन व्यवस्था में भी छेद हो गया है। नियम-कायदों के पेंच फंसाकर नक्शे पास नहीं किए जा रहे हैं। भवन निर्माण का भौतिक परीक्षण, ड्राइंग, डिजाइन, प्रकाश विभाग, जल विभाग, अग्निशमन विभाग की एनओसी के नाम पर इस तरह उलझाया जाता है कि एक समय सीमा के बाद आवेदन रिजेक्ट हो जाते हैं।
ये हो रहा खेल :
आनलाइन नक्शा पास कराने यदि आर्किटेक्ट या सलाहकार के माध्यम से आवेदन किया जाता है तो नक्शा आसानी से स्वीकृत हो जाएगा। इसके लिए आवेदक को मकान के क्षेत्रफल के हिसाब से पांच से 20 हजार रुपये तक चुकाने पड़ रहे। आर्किटेक्ट या सलाहकार को ढूंढना भी नहीं पड़ेगा नगर निगम के भवन शाखा, कालोनी सेल में ये बैठे मिल जाएंगे या फिर विभाग के नुमाइंदे ही उनके नाम और नंबर उपलब्ध करा देंगे। नक्शा पास कराने के लिए नगर निगम में पूरा गिरोह काम कर रहा है। जिसमें विभागीय अधिकारी से लेकर कम्प्यूटर आपरेटर सब शामिल हैं।
आठ माह से भटक रहे आवेदकः
केस नंबर1 -
गंगा सागर निवासी एक महिला आवेदक बताया कि वे अपने पुस्तैनी मकान के कुछ हिस्से का नए सिरे से निर्माण कराना चाह रही हैं। इसके लिए फरवरी 2022 में आनलाइन आवेदन किया था। लेकिन आठ माह बाद भी नक्शा पास नहीं हुआ। आर्टिकेट ने 10 हजार रुपये भी ले लिए।
केस नंबर 2 -
अधारताल निवासी एक आवेदन का कहना है कि उन्होंने 700 वर्गफुट भूमि में मकान निर्माण का नक्शा पास कराने आनलाइन आवेदन किया था। लेकिन जितनी फीस नहीं लगी उतनी चढ़ोत्री चढ़ानी पड़ रही है। पहले तो नक्शा पास नहीं हुआ। भूमि संबंधी जो दस्तावेज दिए गए टेबिल में बैठे अधिकारी कुछ-कुछ खामी निकालते रहे। लेकिन जब आर्किटेक्ट के माध्यम से आवेदन किया तो नक्शा स्वीकृति की आनलाइन फीस 946 रुपये 10 हजार रुपये अतिरिक्त देने पड़े।
आनलाइन नक्शा स्वीकृति के प्रकरणों पर एक नजर
आवेदन किए गए - 5 हजार 84 स्वीकृत हुए - 3 हजार 70रिजेक्ट हुए - 87लंबित - 1 हजार 927
(नोट उक्त आंकड़े एक अप्रैल 2021 से 12 अक्टूबर 2022 तक के हैं)
इनका कहना है
नक्शा स्वीकृति की व्यवस्था आनलाइन है। कई बाद आर्किटेक्ट या इंजीनियर के माध्यम से किए गए आवेदन ठीक से नहीं भरे जाते जिससे साफ्टवेयर अप्रूव नहीं कर पाता। कई बार गलत कालम भरने पर भी आवेदन रिजेक्ट हो जाते हैं। यदि किसी के नक्शे पास नही हो रहे तो वे सीधे आकर संपर्क कर सकते हैं।- आरके गुप्ता, भवन अधिकारी, नगर निगम