जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। लाकडाउन के कारण एक बार फिर सारी से सांस्कृतिक गतिविधियों पर विराम लग गया है। बीते साल हुए लाकडाउन के कारण रंगकर्मी बहुत परेशान हुए। उसके बाद जैसे- तैसे कुछ नाटकों का मंचन शुरू हुआ ही था कि फिर से कोरोना ने लाकडाउन की स्थिति में ला कर खड़ा कर दिया। परिणामस्वरूप रंगकर्मी आर्थिक रूप से बहुत परेशान हैं। लेकिन इस परेशानी के बाद भी शहर के रंगकर्मियों का हौसला कम नहीं हुआ। द शो मस्ट गो ऑन की तर्ज पर रंगकर्मी अपने- अपने काम पर आनलाइन ही लगे हुए हैं।
इंटरनेट मीडिया पर साझा कर रहे: समागम रंगमंडल के निर्देशक आशीष पाठक जहां शहर के रंगकर्म से जुड़ी बातों को इंटरनेट मीडिया पर साझा कर रहे हैं। वहीं कुछ युवा निर्देशक अपने द्वारा निर्देशित नाटकों को पोस्ट कर के बहुत सराहना बटोर रहे हैं। रंगकर्मी दविंदर सिंह ग्रोवर ने बताया कि असल में रंगकर्मी वही है जो कठिन स्थितियों में भी काम करना जाने। कोरोना का समय सभी की परीक्षा का समय है। बीते कोरोना काल में भी रंगकर्मियों ने कई नए नाटक तैयार किये थे जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी। उस समय का उपयोग कलाकारों ने कुछ नया रचने के लिए किया था। ठीक वही काम इस समय भी हो रहा है। कलाकारों को एक मौका फिर मिला है कि वो अपनी प्रतिभा का उपयोग रचनात्मक कार्यों में करें। इसके लिए इस समय इंटरनेट मीडिया के बढ़ कर कोई अन्य माध्यम नहीं है। सिर्फ इतना ही नहीं कई युवा रंगकर्मी नए नाटक लिख रहे हैं। हिंदी क्षेत्र में नए नाटकों की कमी है।
स्टेज मेकअप करने की बारीकियों को बता रहे : रंगकर्मी संतोष राजपूत ने बताया कि कई रंगकर्मी अच्छे मेकअप आर्टिस्ट हैं। वो लगातार इंटरनेट मीडिया पर स्टेज मेकअप करने की बारीकियों को बता रहे हैं। प्रवीण नामदेव जो मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हैं वो अन्य रंगकर्मियों को रंगकर्म से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को इंटरनेट पर साझा कर रहे हैं। आशुतोष द्विवेदी का कहना है कि अब रंगकर्म में नए प्रयोग हो रहे हैं।जिसके लिए देश भर में होने वाले नाटकों को देखने की जरूरत होती है। जो इंटरनेट मीडिया से ही संभव है।