Karant : करंट -:पंकज तिवारी, नई दुनिया, जबलपुर । कांग्रेस नेता की कार में आगजनी के मामले में विधायक के विरोधी लामबंद हो गए हैं। आग लगाने वाले आरोपितों ने भले ही कार में आग लगाने के लिए एक लाख रुपये की सुपारी लेने की बात स्वीकार कर ली हो लेकिन विधायक के विरोधी इस मामले को नया रंग देने में जुट गए हैं। विरोध करने वाले विधायक का नाम खुलकर तो नहीं ले रहे हैं लेकिन संदेह उन्हीं पर जता रहे हैं। पिछले दिनों पुलिस के आला अफसर को कांग्रेस के सारे नेता एकजुट होकर इस मामले की जांच करने के लिए ज्ञापन देने पहुंचे। विरोधी खेमे में ज्यादातर वहीं नेता थे जिन्हें पार्षद चुनाव के वक्त विधायक का समर्थन नहीं मिला था। फिलहाल मामले में कांग्रेस के भीतर ही जमकर खींचतान मची हुई है। इधर विरोधी पक्के सबूत को खोजने में जुटे हैं। इधर चुनावी साल में अपनों का विरोध नेताजी को मुश्किल में डाल सकता है।
महिलाओं के आयोजन में नेताओं का जमावड़ा
सरकार ने शराब दुकानों के अहातों को बंद करने का फैसला लिया तो महिला मोर्चा ने सराहनीय कदम बताया। सरकार के निर्णय पर धन्यवाद करने के लिए मालवीय चौक में बड़ा मंच लगा। कायदे से मंच पर महिला नेत्रियों को अपनी खुशी जाहिर करनी थी लेकिन वरिष्ठ नेताओं के आगे महिला नेत्री खामोश हो गई। मीडिया में भी बड़े-बड़े नेताओं के भाषण पहुंच गए लेकिन महिलाओं को कोई खास तवज्जों नहीं मिली। इसके बाद कमल नाथ का पुतला दहन में भी ऐसा ही कुछ होने की संभावना को देख महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने बिना देरी किए पुरुष नेताओं को अनदेखा करते हुए खुद ही पुतले के साथ प्रदर्शन शुरू कर दिया। महिलाओं के तेवर देख पुरुषों ने भी कदम पीछे खींचने में भलाई समझी। हालांकि बाद में कई महिला नेत्री नेताओं के तेवर को लेकर नाराज हो गई। कुछ ने महिलाओं की उपेक्षा तक का आरोप लगा दिया।
बमबाजों से हिला रादुवि:
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय परिसर में हुई बमबाजी की घटना ने राजनीति को गर्मा दिया है। छात्र नेता इस मामले में दो गुट में बंट गए हैं। हर कोई बमबाजों को पकड़ने में नाकाम होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ने में तुला है। इधर एनएसयूआइ ने तो सीधे कुलपति को जिम्मेदार मानते हुए विश्वविद्यालय में धारा 52 की मांग कर डाली। बता दें कि जिस केंटीन के पास यह बम गिरा था। इसका संचालन का जिम्मा भाजपा नेता के पास है। इसको लेकर छात्रावासी छात्रों से विवाद भी हो चुका है ऐसे में इस घटना को हर कोई अलग-अलग तरीके से जोड़कर राजनीति करने में जुटा है। ये तय है कि जब तक आरोपित पकड़ में नहीं आते हैं इस मामले को छात्र नेता ठंडा नहीं होने देंगे। कुछ ने तो सुरक्षा से जुड़े तमाम मुद्दों को उठाकर अपनी सुप्त पड़ी राजनीति को चमकाने का प्रयास कर रहे हैं।
पार्षदों की अनबन हुई सार्वजनिक-
भाजपा पार्षद दल में भी सब ठीक नहीं चल रहा है। वरिष्ठता के नाम पर पुराने पार्षद खुद को एक दूसरे से आगे रखना चाह रहे हैं। पिछले दिनों एमआइसी की बैठक के बाद भाजपा पार्षद दल ने महापौर के खिलाफ हल्ला बोला। पार्षद मैदान में उतरे ही थे कि बोलने की बीमारी ने पार्षदों के बीच मतभेद पैदा कर दिए। एक वरिष्ठ पार्षद महेश राजपूत को टोंकाटाकी पसंद नहीं आई तो वे नाराज होकर लौटने लगे तभी पार्षद दल के मुखिया कमलेश अग्रवाल ने उन्हें हाथ पकड़कर वापस खड़ा किया। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष बनने की चाह कई पार्षदों के मन में बनी हुई है ऐसे में आंदोलन में हर कोई खुद को अगुवा रखने की भूमिका निभा रहा है ताकि संगठन की नजर उनके ऊपर पड़े। बता दें कि महिला पार्षद भी नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में लंबे समय से खुद को पेश करने में जुटी हुई थीं।