जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। Ordnance Factory Khamaria, Jabalpur। भारतीय सेना देश के दुश्मनों पर टैंकभेदी बम चलाकर दुश्मनों पर कहर बरसाएगी। शहर स्थित आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके) में सेना के युद्धक टैंक से आग उगलने वाले 125 मिमी फिन स्टैबलाइज्ड आर्मर पियर्सिंग डिस्चार्जिंग सबोट (एफएसएपीडीएस) बमों का युद्ध स्तर पर उत्पादन जल्द शुरू होगा। निर्माणी प्रशासन ने सिर्फ 3 माह में टैंकभेदी बम के 5 हजार नग बनाने की तैयारी की है।
भारत—रशिया के बीच ट्रांसफर आॅफ टेक्नालॉजी (टीओटी) करार होने के बाद से ही ओएफके में 'मैंगो प्रोजेक्ट' के तहत यह टैंकभेदी बम बनाने का काम शुरू हुआ है। इसके पहले निर्माणी के कर्मचारियों की 20 सदस्यीय टीम को प्रशिक्षण लेने रशिया भेजा गया। इसके बाद ओएफके में रशिया के इंजीनियरों की देखरेख में प्रशिक्षण लेकर आए कर्मचारियों ने 125 मिमी एफएसएपीडीएस (टैंकभेदी बम) बनाना शुरू किया। इस निर्माणी में बने टैंकभेदी बमों की पहली खेप वित्तीय वर्ष 2018—19 में सेना के हवाले की गई। इसके बाद रशिया से रॉ—मटेरियल की तय समय पर आपूर्ति नहीं हुई और ओएफके प्रशासन वर्ष 2019—20 में सेना को इन बमों की खेप सौंपने में नाकाम रहा। हालांकि इस दौरान भी निर्माणी में टैंकभेदी बम के अलग—अलग हिस्से बनाने का काम किया गया। वर्तमान में निर्माणी को 125 मिमी एफएसएपीडीएस (टैंकभेदी बम) बनाने कैमिकल की जरूरत है। खबर है कि रशिया से उक्त रॉ—मटेरियल (कच्चा माल) भेजा जा चुका है, जो कि इस माह के अंत तक ओएफके को मिलेगा और यहां टैंकभेदी बम बनाने का काम युद्ध स्तर पर शुरू किया जाएगा।
टैंक के परखच्चे उड़ाने की क्षमता: सैन्य जवान टी-72 एम 1 टैंक से लक्ष्य साधकर 125 मिमी एफएसएपीडीएस को चलाते हैं। यह बम दो हिस्सों में बना होने से इसका पहला हिस्सा तेज धमाके के साथ निकलकर तेज गति से दुश्मनों के टैंक (लक्ष्य) से टकराकर ड्रिल मशीन की तरह घूमते हुए स्टील प्लेट को भेदकर अंदर पहुंचता है। जहां बम का दूसरा हिस्सा जबरदस्त विस्फोट करके टैंक के परखच्चे उड़ा देता है।
सवा चार लाख का एक बम: रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर आयुध निर्माणी बोर्ड ने ओएफके को यह अत्याधुनिक गोला-बारूद बनाने (उत्पादन) की जवाबदारी सौंपी है। ओएफके में बने 125 मिमी एफएसएपीडीएस के एक नग की लागत चार लाख बीस हजार रुपये है। आयुध निर्माणी खमरिया सेना की विशेष मांग पर करीब सवा दो सौ करोड़ की लागत से अत्याधुनिक टैंकभेदी बम के 5 हजार नग जल्द से जल्द बनाने भी तैयार है।
वर्जन...
मैंगो प्रोजेक्ट के तहत 125 मिमी एफएसएपीडीएस के 5 हजार नग उत्पादन का लक्ष्य जल्द पूरा करने की योजना है। रशिया का कैमिकल मिलते ही टैंकभेदी बम तेजी से बनाए जाएंगे।
— एसके राउत, प्रोडक्शन मैनेजर, ओएफके जबलपुर