
जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करते हुये नियमों का पालन करना हमारा प्रमुख कर्तव्य है। वर्तमान विषम वातावरण में साहित्यकारों का दायित्व बढ़ गया है। उन्हें अब समाज को प्रेरणा प्रदान करने वाले सृजन को जन-जन तक पहुंचाना होगा। इतिहास गवाह रहा है कि साहित्य ने हमेशा ही समाज को दिशा दिखाई है। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन इस बात का बड़ा उदाहरण है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी रचनाओं ने देश की जनता के मन में आजादी प्राप्त करने की ललक जगाई। यह बात जागरण साहित्य समिति द्वारा आयोजित आनलाइन काव्य गोष्ठी में अतिथियों ने कही। यह आयोजन सुभाष जैन के संयोजन में किया गया। समारोह की अध्यक्षता डॉ. हरिशंकर दुबे ने की। मुख्य अथिति डॉ. आरएल शिवहरे, विशिष्ट अतिथि पुरषोत्तम भट्ट पूर्व जज व प्रमुख वक्ता राजेश पाठक प्रवीण थे।
वक्ताओं ने कहा कि समसामयिक साहित्य से प्रेरणा मिलती है। साहित्य में समाज को परिवर्तित करने की शक्ति समाहित है। वर्तमान समय निश्चित ही कठिन है लेकिन रचनाकारों के लिए भी यह कुछ नया और प्रेरणादायी रचने का समय है।
समारोह का संचालन संतोष नेमा व आभार सुशील श्रीवास्तव ने किया। साथ ही अतिथि स्वागत डॉ. सलमा जमाल, अर्चना द्विवेदी, सिद्धेश्वरी सराफ ने किया।
द्वितीय सोपान में आयोजित काव्यगोष्ठी में प्रो.मंजरी अरविंद गुरु रायगढ़, अर्चना द्विवेदी गुदालू, अनुराधा अनु, विशाल चतुर्वेदी उमेश, डॉ. मुकुल तिवारी, प्रभा श्रीवास्तव बच्चन, कविता नेमा, अनीषा नेमा, राजकुमारी रैकवार राज, प्रो. शरद नारायण खरे, मधु कौशिक लखनऊ, निशी श्रीवास्तव लखनऊ,आशा जैन सिहोरा, डॉ. भावना दीक्षित ज्ञानश्री व अन्य कवितयों ने समसामयिक विषयों पर प्रेरणा देने वाली रचनाएं प्रस्तुत की।