शहर में 1500 किमी में बिछाई गई है पाइपलाइन, चैन्नई की कंपनी से सर्वे कर बनाया था नक्शा वह भी अपूर्ण
जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर भर में कहां-कहां पाइप लाइन बिछी है? तीन वर्ष पहले नगर निगम ने इसका सर्वे करवा कर जैसे-तैसे नक्शा तो बनवा लिया है। लेकिन नक्शा बन जाने के बाद भी पाइपलाइन में होने वाले लीकेज का पता लगाने और जरूरत के हिसाब से नई पाइपलाइन लाइन बिछाने में नगर निगम के तकनीकी अधिकारी, कर्मचारियों का पसीना छूट रहा है, क्योंकि नगर निगम ने चैन्नई की जिस कंपनी से नक्शा बनवाया था वह अपूर्ण है। जबकि इसके एवज में नगर निगम ने कंपनी को 74 लाख रुपये का भुगतान भी किया था।
नीचे पाइपलाइन ऊपर बस गई बस्तियां, कालोनी
दरअसल शहर मेें लगभग 1500 किमी की मेनराइजिंग लाइन, सप्लाई लाइन और अन्य पाइपलाइन बिछाई गई है। लेकिन नगर निगम के पास इसका कोई रिकार्ड और नक्शा नहीं था। वर्ष 2017 में नगर निगम ने चेन्नाई की पीडब्ल्यूसी कंपनी से पानी की पाइपलाइन का सर्वे करवाया था। ताकि ये पता चल सके कि शहर को जलापूर्ति करने वाले जलशोधन संयंत्रों से कितना पानी व्यर्थ बह रहा है। इसी दौरान नगर निगम ने कंपनी से शहर में बिछी पाइपलाइन का नक्शा भी बनवाया था,जो अधूरा ही बन पाया है। क्योंकि अधिकांश क्षेत्र ऐसे है जहां पाइपलाइन के ऊपर ही बस्तियां व कालोनियां बस गई है। लिहाजा ऐसे क्षेत्रों का सर्वे नहीं हो पाया।
सेवानिवृत्त अधिकारी से लेते है मदद-
हाल है कि जबकि अब जब भी मेन राइजिंग लाइन या सप्लाई लाइन में लीकेज के कारण किसी क्षेत्र में जलापूर्ति बाधित होती है और नगर निगम के तकनीकी कर्मचारियों को लीकेज ढूंढे नहीं मिलता तब नगर निगम के अधिकारियों को सेवानिवृत्त हो चुके नगर निगम के जल विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की मदद लेनी पड़ती है। बताया जाता है कि इन अधिकारियों को पता है शहर में कहां-कहां कितने किमी और कितने इंच व व्यास की पाइपलाइन डाली गई थी।
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10 माह में हो चुके 15 से ज्यादा लीकेज, त्योहारों में पानी को तरसे लोग
शहर में मुख्य रूप से रमनगरा, ललपुर और रांझी जलशोधन संयंत्र से जलापूर्ति की जाती है। रमनगरा संयंत्र को छोड़ दिया जाए तो ललपुर और रांझी संयंत्र काफी पुराने हो चुके हैं। यही वजह है कि पुरानी पाइप लाइन होने के कारण कभी भी लीक हो जाती है। इन लाइनों के जितने लीकेज जमीन के बाहर दिखते हैं उनसे कहीं ज्यादा जमीन के भीतर रहते हैं। बीते 10 माह में 15 से ज्यादा लीकेज हो चुके हें। जिसके चलते लोगों को नवरात्र, ईद जैसे त्योहारों में भी पानी के लिए परेशान होना पड़ा।
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हर साल 40 करोड़ रुपये पानी पिलाने में निगम कर रहा खर्च
- 1 लाख 50 हजार नल कनेक्शन हैं शहर में।
- 3 फिल्टर प्लांट से 215 एमएलडी पानी हर दिन दिया जाता है।
- 60 पानी टंकी हैं जिन्हें भरने के बाद आपूर्ति की जाती है
- 40 करोड़ रुपए सालाना खर्च करता है नगर निगम पानी पिलाने में।
- 25 करोड़ रुपए भी नगर निगम को जलकर नहीं मिलता।
- 30 एमएलडी पानी लीकेज के कारण बह जाता है
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पानी की पाइपलाइन का नक्शा बनवाया गया है। इससे ये मदद मिल रही है कि कहां-कहां नई पाइपलाइन बिछाई जा सकती है। ये भी सही है कि कई जगह पाइपलाइन के ऊपर ही बस्तियां बस गई है। इनमें से कुछ लाइन शिफ्ट भी कराई जा चुकी हैं। -कमलेश श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री जल