Jabalpur Nagar Nigam : जबलपुर नईदुनिया प्रतिनिधि। जबलपुर के 79 वार्ड में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था को सुधारने का नगर सरकार का दावा, विपक्ष के समर्थन न मिलने से दावा ही रह गया। सोमवार को सदन की सामान्य सभा की बैठक में एस्सल कंपनी का डोर टू डोर का ठेका निरस्त करने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन इस प्रस्ताव पर समर्थन नहीं मिलने से ठेका निरस्त नहीं हुआ। इसकी वजह नगर निगम प्रशासन के पास वैकल्पिक व्यवस्था न होना है।
सदन में नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने कहा कि नगर सरकार इस काम को खुद करना चाहती है, लेकिन जब तक उसके पास डोर टू डोर में काम कर रहे 1100 कर्मचारी और वाहनों की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती, ठेका रद नहीं किया जा सकता। साधारण सभा की बैठक में शहर में बन रहे जल संकट, जलभराव और दागी अधिकारियों के मुद्दे विपक्ष ने उठाए। इस दौरान महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने विपक्ष के पार्षदों द्वारा किए गए सवाल का एक-एक कर जवाब दिया।
नेता प्रतिपक्ष कमलेश ने कहा की सदन की बैठक के कवल मिनिट्स तैयार होते हैं पर कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाए अतिक्रमण के दल प्रभारी वसूली में लगे हैं। अतिक्रमण विभाग में 80 लोग हैं कभी भी वे नजर नहीं आते। 10 दिन पहले जब अधूरी सड़क के निर्माण को लेकर धरने पर बैठे थे, तो महापौर ने आश्वासन दिया था कि सड़क निर्माण अविलंब शुरू हो जाएगा, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुृआ। नेता प्रतिपक्ष ने कहा मच्छर विनिष्टीकरण के लिए दवा छिड़काव नहीं हो रहा है, ऐसे में बीमारियां बढ़ेंगी।
इस दौरान महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने कहा नाले संकरे करने और कवर्ड करने की बड़ी गलती हुई है, यहीं शहर में जल भराव का बड़ा कारण है। उनकी सफाई भी नहीं हो सकती। अब हम उनके आसपास की जमीन पर जमे अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई कर रहे हैं। जिनके वार्डों में नालों के किनारे खाली जगह है, वे जानकारी दे दें, जिससे उनमें पाइप डालकर जल निकासी हो सके और जलभराव से तात्कालिक राहत मिल सके। पूरे ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने डेढ़ सौ करोड़ चाहिए।
महापौर ने निगम के अधिकारियों से कहा पार्षद मद के काम सबसे महत्वपूर्ण सिंगल टेंडर छोड़कर बाकी काम आगे बढ़ाएं। जल भराव, सफाई व्यवस्था, जल व्यवस्था को दुरुस्त करने जोन स्तर की बैठक को ज्यादा कारगर बताया। इसके साथ ही विकास कार्यों के लिए फंड की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने की बात कही। बैठक में गायत्री परिवार की ओर से तैयार आटे के दीए का नर्मदा तटों पर इस्तेमाल करने और गोबर से बनने वाली लकड़ी से अंत्येष्टि करने का भी सुझाव रखा।