जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। यात्री सुविधा बढ़ाने रेलवे लगातार ट्रेनों की संख्या बढ़ा रहा है। कई ट्रेन चलाने से लेकर पहले से चल रहीं स्पेशल ट्रेनों की समयावधि बढ़ा दी गई है। इधर मालगाडियों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। हालात यह है कि जबलपुर मंडल में ही 24 घंटे के दौरान लगभग 200 से ज्यादा ट्रेनें दौड़ रही हैं तो वहीं पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर, भोपाल और कोटा मंडल में इनकी संख्या एक हजार के आसपास हो गई है। ट्रेनों का पटरी पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए रेलवे इन दिनों नई पटरियों को बिछाने में जुटा है तो वहीं पुराने रेल रूट पर दूसरी और तीसरी रेल लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इसके साथ ही पटरियों पर लगे सिग्नल की संख्या बढ़ाने से लेकर आधुनिक तकनीक से युक्त सिग्नल लगाने का काम हो रहा है। रेलवे का दावा है कि इसका सीधा फायदा यात्रियों को होगा। पटरियां बढ़ने से ट्रेनों को समय पर चलाना आसान होगा तो वहीं इनकी रफ्तार भी बढ़ेगी।
अभी यह हैं हालात
कटनी से जबलपुर और इटारसी के बीच लगभग हर 24 घंटे में 110 से ज्यादा ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन अधिकांश ट्रेनों की रफ्तार कम है। औसत स्पीड 70 से 80 किमी होने के बाद भी ट्रेनें इस स्पीड पर नहीं चल रहा रहीं। इधर अधिकतम स्पीड 110 हो गई है, लेकिन कई ट्रेन जैसे ही स्पीड पकड़ती है, अन्य ट्रेनों को जगह देने के लिए उन्हें रूकना पड़ता है। इस वजह से अधिकांश ट्रेनें लेट हो रही हैं। इनकी गति भी नियंत्रित कर दी गई है। इतना ही नहीं बीना-कटनी के बीच तीसरी लाइन न होने और कटनी- सिंगरौली के बीच सिंगल लाइन हैं, जबकि इस ट्रैक पर 24 घंटे में मालगाडियों की संख्या और उनका लोड, सबसे ज्यादा है।
यह कदम उठाए
पमरे जोन में चल रहा काम
- कटनी-बीना के बीच 279 किमी लंबी तीसरी रेल लाइन बन रही है, जिसका 70 फीसदी काम हो गया है।
- कटनी-सिंगरौली के बीच 257 किमी लंबी दूसरी रेल लाइन बनाई जा रही है, जिसका लगभग 25 फीसदी काम हुआ है।
- सतना-रीवा के बीच 50 किमी की दूसरी रेल लाइन का काम भी अभी 50 फीसदी ही हुआ है।
- ललितपुर-सिंगरौली के बीच 541 किमी की नई रेल लाइन का काम अभी 30 फीसदी ही हुआ है।
- भोपाल-इटारसी के बीच अभी सिर्फ 27 किमी की तीसरी रेल लाइन बिछाने का काम बाकी है।
- राजगंजमंडी से राजगढ़ होते हुए 276 किमी की नई रेल लाइन बिछाने का काम किया जा रहा है।
सिग्नल हो रहे अपडेट
- जबलपुर मंडल समेत भोपाल और कोटा रेल मंडल के ट्रैक पर नए सिग्नल लग रहा हैं।
- इसकी संख्या बढ़ा रहे, ताकि कम दूरी के बीच भी ट्रेनों को चलाया जा सके।
- आटोमैटिक सिग्नल लगाए जा रहे हैं, ताकि अधिक गति की ट्रेनों को फायदा मिले।
- आइबीएस तकनीक के सिग्नल लगा रहे, ताकि एक सेक्शन में सिग्नल बढ़ाए जाए।
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रेलवे इन दिनों ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और उन्हें समय पर चलाने पर ज्यादा जोर दे रहा है। लगातार नई पटरियों को बिछाने और दूसरी और तीसरी रेल लाइन डालने का काम हो रहा है। काम समय पर हो, इसका पर भी रेलवे का जोर है। -राहुल श्रीवास्तव, सीपीआरओ, पमरे