नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। ट्रेनों में इन दिनों पैर रखने तक की जगह नहीं है। जनरल, स्लीपर कोच से लेकर एसी कोच तक में यात्रियों की भीड़ का फायदा उठाकर अवैध वेंडर इन दिनों उनसे आर्डर लेकर खाना पहुंचा रहे हैं। जबलपुर से गुजरने वाली लगभग 50 से ज्यादा यात्री ट्रेनों में हर दिन हजारों की संख्या में खाने की थाली ट्रेनों में चढ़ जाती हैं, लेकिन इसकी खबर न तो आरपीएफ को है और न ही कमर्शियल विभाग को। अवैध वेंडर पकड़ने का दावा करने वाली इन दोनों जांच एजेंसियों की आंख के नीचे सैकड़ों अवैध वेंडर हर दिन हजारों यात्रियों को सड़ा और बसा खाना पहुंच रहे हैं, लेकिन इन्हें रोकना तो दूर, इनकी खबर तक नहीं है।
जबकि इस खाने को खाने के बाद कई यात्री बीमार भी हुए हैं, लेकिन लंबा सफर होने की वजह से कई यात्री इसकी शिकायत नहीं करते। दरअसल जबलपुर आने वाली ट्रेनों में अवैध वेंडर, सतना, कटनी, इटारसी और नरसिंहपुर से सवार होते हैं और फिर चलती ट्रेन में यात्रियों को मोबाइल किचन के पर्चे देकर खाने का आर्डर लेते हैं।
आर्डर मिलते ही जबलपुर में बने अवैध मोबाइल किचन में घंटों पहले बना खाना पैक होता है और फिर जबलपुर स्टेशन के आउटर से इन थाली को ट्रेन में चढ़ाकर यात्री तक पहुंचाया जा रहा है। आइआरसीटीसी तक को नहीं खबरजबलपुर रेलवे स्टेशन के सिविल लाइन क्षेत्र में कई मोबाइल किचन अवैध तौर पर बना लिए गए हैं।
इनमें ट्रेन के यात्रियों के लिए सुबह के नास्ते से लेकर दोपहर और रात का खाना बन रहा है। इतना ही नहीं इन खाने की गुणवत्ता इतनी खराब है कि चंद घंटों में ही इससे बदबू आने लगती है, लेकिन अवैध वेंडर और अवैध किचन चलाने वाले ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में आरपीएफ, कमर्शियल विभाग से छिपकर खाने के पैकेट और थाली आसानी से ट्रेन तक पहुंचाते और बेचते हैं।
नियम के मुताबिक ट्रेन में यात्रियों को खाना पहुंचाने की स्वीकृति आइआरसीटीसी से ली जाती है। इसके पास कमर्शियल विभाग और आरपीएफ की सहमति से खाना पहुंचाने वाले व्यक्ति का परिचय पत्र जारी होता है, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं होता। आर्डर लेने से पहुंचाने तक की जिम्मेदारीअवैध वेंडर की ट्रेनों में बढ़ती सक्रियता से एक बार फिर यात्रियों की सुरक्षा और रेलवे की व्यवस्था पर सवाल खड़ कर दिए हैं।
दरअसल इन दिनों जबलपुर रेलवे स्टेशन के आसपास किराए के मकान में एक दर्जन से ज्यादा अवैध मोबाइल किचन चल रहे हैं। इनमें अवैध वेंडर भी काम करते हैं, जो खाना बनाने से लेकर ट्रेन में आर्डर लेने और खाना पहुंचाने का काम करते हैं।
इनमें फूड जंक्शन, दरबार, अपना रेस्टारेंट, साई रेस्टारेंट, तवा रेस्टारेंट, फ्रेस फूड, शेर ए पंजाब जैसे नाम से इन किचन को चलाया जा रहा है, जहां पर पनीर, चिकन, अंडा और वेजथाली तैयार होती है। यह थाली ट्रेन में डीलक्स, स्पेशल, महाराजा के नाम पर 100 रुपये से 250 रुपये तक बेची जाती है।
जानकारी सामने आई है। अवैध किचन चलाने और ट्रेनों में खाना पहुंचाने वाले अवैध वेंडरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कमर्शियल विभाग, आरपीएफ की मदद से अभियान चलाकर इन पर कार्रवाई की जाएगी।- डॉ. मधुर वर्मा, सीनियर डीसीएम, जबलपुर रेल मंडल