जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर पैसे की अधाधुंध बर्बादी की जा रही है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नेशनल ट्रैफिक इंजीनियरिंग की दुहाई देकर ऐसे संकरे चौराहों में भी आइलैंड बना दिए गए जहां जरुरत ही नहीं थी। अब ये आइलैंड राहगीरों के लिए सुविधा कम परेशानी ज्यादा खड़ी कर रहे हैं। बारिश के दिनों में जरा सी बूंदाबादी में चौराहे के लेफ्ट टर्न पानी में डूब रहे है। ऐसी ही घटिया इंजीनियरिंग का उदाहरण कलेक्ट्रेट चौराहे में देखा जा सकता है। चौराहे को मेस्टिक तकनीक से विकसित कर हाई कोर्ट से रेलवे स्टेडियम की तरफ जाने वाले मार्ग पर आइलैंड बनाया गया है। जिसके कारण लेफ्ट टर्न इतना संकरा हो गया है कि उसमें वाहन तो फंस ही रहे हैं बारिश में पानी भर जाने के कारण लोग फिसल कर गिर रहे हैं।
पानी निकासी पर नहीं दिया ध्यान :
स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने चौराहा निर्माण के दौरान ये कसीदें गढ़े थे कि चौराहे नेशनल ट्रैफिक इंजीनियरिंग की गाइडलाइन के तहत बनाए जा रहे हैं। लेकिन बारिश के दिनों में ये इंजीनियरिंग फेल साबित हो रही है। कलेक्ट्रेट के दूसरे द्वार के ठीक सामने लेफ्ट टर्न में आइलैंड इस तरह बनाया गया है कि बारिश का पानी जमा हो रहा है। लेफ्ट टर्न पर जलभराव होने से वाहन चालक इसमें फिसल कर गिर रहे हैं। जबकि चौराहे पर जाम के हालात बन रहे हैं। इंजीनियरों ने यहां आइलैंड तो बना दिया लेकिन पानी की निकासी पर ध्यान नहीं दिया।
50 लाख हुए थे खर्च :
विदित हो कि कलेक्ट्रेट सहित मुख्य चौराहों को इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) से यातायात के हिसाब से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विकसित करने का हवाला दिया गया था। नेशनल ट्रैफिक इंजीनियरिंग की दुहाई देकर चौराहे को स्टोन मेस्टिक एस्फाल्ट तकनीक यानी उच्च कोटि के डामर, चूना और 13 एमएम की गिट्टी से मजबूत बनाया गया है। एक चौराहे को विकसित करने में करीब 50 लाख रुपये खर्च किए थे। लेकिन अधिकांश चौराहों में इंजीनियरिंग फेल साबित हो रही है।
जहां जरूरत नहीं, वहां बना दिए :
- घमापुर चौराहे जहां रोजाना ही दिन भर जाम लगता है। उसे चौराहे को अभी तक विकसित करना तो दूर किसी तरफ का लेफ्ट टर्न तक नहीं खोला गया है। जबकि यहां चौराहे को विकसित कर आइटीएमएस लगाया जाना बहुत जरूरी है।
- तैयब अली चौराहे में बिना लेफ्ट टर्न खोले ही आइटीएमएस सिस्टम शुरू कर दिया। हुआ यह कि अक्सर लगने वाले जाम के कारण सिग्नल को बंद करना पड़ा। सीवर के लिए पूरा चौराहा खोद दिया गया, जबकि यहां सिग्नल की जरूरत ही नहीं है।
- कलेक्ट्रेट चौराहे में भी आसानी से वाहन निकल जाते थे। आइलैंड बनाने से जाम के हालात बन रहे हैं।