जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शहडोल जिला अस्पताल के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ.जीएस परिहार के खिलाफ दायर याचिका वापस लिए जाने की मांग मंजूर करते हुए खारिज कर दी। न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान डॉ. परिहार की ओर से अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि डॉ. परिहार को उनकी योग्यता की वजह से प्रभारी सिविल सर्जन बनाया गया है। लिहाजा, उनकी पदस्थापना के खिलाफ शहडोल में पदस्थ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.वीएस बारिया द्वारा दायर याचिका बेमानी है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि याचिकाकर्ता भले ही अपनी वरिष्ठता का हवाला दे रहा है लेकिन वह पूर्व में जब इस पद पर पदस्थ था, तब लापरवाही के कारण 28 बच्चों की मृत्यु का मामला सामने आया था। जिसके बाद उसे पद से हटा दिया गया था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से उसके अधिवक्ता ने याचिका वापस लेने का निवेदन किया। जिसे मंजूर करते हुए याचिका खारिज कर दी गई।
कांग्रेस विधायक को झटका, अग्रिम जमानत से इनकार: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने आगर मालवा के कांग्रेस विधायक विपिन वानखेड़े की अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति राजीव दुबे की एकलपीठ ने कहा कि मामले में अग्रिम जमानत का लाभ देना उचित नहीं है। अभियोजन के मुताबिक 23 नवंबर, 2020 को कांग्रेस विधायक विपिन वानखेड़े 40-50 लोगों के साथ बडोड थाने पहुंचे। थाने में थाना प्रभारी जतन सिंह मंडलोई काम कर रहे थे। विधायक ने थाना प्रभारी से पूछा कि प्रेम सिंह तंवर को क्यों ढूंढ़ रहे हो। इसके बाद विधायक ने थाना प्रभारी के साथ अभद्रता व धक्का-मुक्की शुरू कर दी। इस मामले में विधायक एवं अन्य के खिलाफ धारा 147, 353, 188, 189 व 34 का अपराध दर्ज किया गया है। विधायक की ओर से इस मामले में अग्रिम जमानत अर्जी दायर की गई थी। शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार श्रीवास्तव लालू व पैनल लायर अजय ताम्रकार की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।