अतुल शुक्ला,जबलपुर। नईदुनिया प्रतिनिधि
रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण होते ही जबलपुर रेल मंडल ने 110 डीजल इंजन को समय से पहले ही रिटायर कर दिया है। इनकी जरूरत न तो अब जबलपुर में है और न ही देश के किसी दूसरे रेल मंडल में। रेलवे जल्द ही इन इंजनों की नीलामी करेगा। देश में खरीददार नहीं मिले तो वह दूसरे देशों को बेचा जाएगा। जबलपुर मंडल पहले चरण में 90 डीजन इंजन की नीलामी करेगा। इसमें से 40 इंजन सागर के मकरोनिया स्टेशन की साइडिंग में खड़े हैं तो बाकी 50 कटनी के डीजल लोको शेड में खरीददार का इंतजार कर रहे हैं। बाकी 20 इंजन के पार्ट्स को रेलवे उपयोग में लाएगा।
वर्मा, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में होगी नीलामी
जबलपुर रेल मंडल ने इन इंजन को बेचने के लिए रेलवे बोर्ड को पत्र लिख दिया है। पहले चरण में रेलवे देश की निजी कंपनियों को इन्हें खरीदने का प्रस्ताव देगा यदि वे इसमें रुचि नहीं लेते हैं तो इन इंजन को ऐसे देश में बेचा जाएगा जहां रेलवे ट्रैक का विद्युतीकरण नहीं हुआ है या अभी अधूरा है। इनमें वर्मा से लेकर बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान आदि शामिल हैं।
उम्र से पहले ही कर दिया बाहर
इंजन से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि जिन डीजल इंजन को ट्रैक से अलग कर खड़ा किया गया है, उनमें से अधिकांश की उम्र 10 से 15 साल है, जबकि एक इंजन की एक्सपायरी डेट 20 साल होती है। एक इंजन की कीमत लगभग 20 करोड़ के आस-पास है और 3100 से 4000 हार्स पावर का है। इन इंजन को विद्युत इंजन में बदलने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
इसलिए रेलवे से हुए बाहर
जबलपुर मंडल की सीमा में तकरीबन 800 किमी का रेलवे ट्रैक आता है। इन रेलवे ट्रैक का पूरी तरह से विद्युतीकरण हो गया है। हालांकि यार्ड और साइडिंग में कुछ ट्रैक विद्युतीकरण के लिए बाकी है, लेकिन यहां डीजल इंजन की बजाए विद्युत-बैटरी इंजन का उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे डीजल इंजन की उपयोगिता पूरी तरह से खत्म हो गई है।
डीजल का उपयोग बंद होने से कार्बन उत्सर्जन कम होगा
- जबलपुर मंडल में ही हर साल करोड़ों रुपए डीजल में खर्च होते थे।
- विद्युत ट्रैक के बाद यह खर्च 20 से 25 फीसदी हो गया है।
- इन इंजन से कार्बन उत्सर्जन अधिक होता था, जो अब नहीं होगा।
- कई बार एनजीटी ने भी आपत्ति लगाई है।
वर्जन- जबलपुर रेल मंडल की मुख्य लाइन का विद्युतीकरण पूरा हो चुका है। इस वजह से हमने 110 डीजल इंजन को बाहर कर दिया है। इनकी नीलामी के लिए रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है।
संजय विश्वास, डीआरएम, जबलपुर मंडल