जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। शासकीय स्वशासी आयुर्वेद महाविद्यालय भवन का कोविड वार्ड ए सिमटोमैटिक कोरोना मरीजों के लिए विश्रामस्थल बनकर रह गया है। ऐसे हालात तब निर्मित हो रहे हैं जबकि शहर के तमाम शासकीय व निजी अस्पतालों में जगह पाने के लिए कोरोना संक्रमित तमाम मरीज दर-दर भटक रहे हैं। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा चार नर्सों की ड्यूटी लगाई गई थी। जिन्होंने अस्पताल में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद से शक्ल नहीं दिखाई है। एलोपैथी विधा के चार डॉक्टर यहां पदस्थ किए गए हैं वे एक बार शक्ल दिखाने के बाद वहां झांकने तक नहीं गए। 30 बिस्तरीय कोविड वार्ड में एक सिमटोमैटिक पांच मरीज भर्ती हैं, शेष पलंग खाली पड़े हैं। ऐसे मरीज जिन्हें निगरानी में रखकर कोरोना उपचार की जरूरत है उन्हें किसी और अस्पताल में जाने की सलाह दी जाती है। इधर, शहर में रोजाना ऐसे हालात बन रहे हैं जब समय रहते अस्पताल में भर्ती सुविधा न मिल पाने के कारण कोरोना संदिग्ध व संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है।
मुंह चिढ़ा रहा सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम: आयुर्वेद महाविद्यालय में कोविड वार्ड की तैयारी जोर शोर से शुरू की गई थी। आनन-फानन में सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम की व्यवस्था की गई ताकि मरीज को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन दी जा सके। परंतु ऑक्सीजन की कमी के चलते यह सिस्टम ठप पड़ा है। कोरोना संदिग्ध अथवा संक्रमित ऐसे मरीज जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है उन्हें यहां भर्ती करने से इनकार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड वार्ड में दवाओं की किट पहुंचाई गई है परंतु उनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा है।
चार डॉक्टर व पांच स्टाफ नर्स: एलोपैथी विधा के डॉक्टर व स्टाफ नर्स ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हो रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल में पदस्थ चार डॉक्टर व पांच स्टाफ नर्स की ड्यूटी प्रबंधन द्वारा लगाई गई है। महाविद्यालय के अधिकारियों का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों को कोविड केयर की इमरजेंसी सेवा की पात्रता नहीं है। इसके लिए एलोपैथी चिकित्सक का होना जरूरी है। एलोपैथी चिकित्सकों के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सक मरीजों के उपचार में सहायक की भूमिका निभा सकते हैं।
ऑक्सीजन, स्टाफ व संसाधन मिलें तो 100 से ज्यादा बिस्तर: बताया जाता है कि आयुर्वेद महाविद्यालय में 100 से ज्यादा बिस्तरों वाला कोविड वार्ड तैयार किया जा सकता है। जिससे इमरजेंसी में ग्वारीघाट समेत आसपास लगे अन्य क्षेत्रों के कोरोना मरीजों को राहत मिल सकती है। कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन, डॉक्टर व अन्य चिकित्सा स्टाफ, जरूरी संसाधन की आपूर्ति कर कोविड वार्ड का विस्तार करते हुए मरीजों को लाभ दिया जा सकता है।
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कोविड वार्ड में ए सिमटोमैटिक कोविड मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। शेष मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पदस्थ नर्सिंग स्टाफ व चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं आते हैं। अधिकारियों से मार्गदर्शन लेकर कोविड वार्ड में व्यवस्थाएं दुरुस्त की जा रही हैं।
डॉ. एलएल अहिरवाल, प्राचार्य
शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय