नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। स्तन कैंसर की प्रारंभिक जांच-सर्जरी की सबसे सस्ती तकनीक का आविष्कार करने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में अब इस पर क्लीनिकल ट्रायल होगा। इसे स्तन कैंसर की बायोप्सी (प्रारंभिक परीक्षण) से संबंधित देश का सबसे बड़ा क्लीनिकल ट्रायल माना जा रहा है।
यह चिकित्सकीय नैदानिक परीक्षण एक वर्ष तक चलेगा। जबलपुर मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने प्रारंभिक स्तर पर स्तन कैंसर के लिए सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी (एसएलएनबी) का सस्ता विकल्प खोजा है। उनकी तकनीक के प्रयोग से बायोप्सी का व्यय सौ रुपये से भी कम होता है।
जबकि वर्तमान में प्रचलित तरीके से सरकारी अस्पताल में बायोप्सी व्यय पांच हजार रुपये और निजी अस्पतालों में 30 हजार रुपये तक खर्च होता है। मेडिकल कालेज में होने वाले इस नैदानिक परीक्षण प्रक्रिया में नई दिल्ली, पटना, बिलासपुर सहित नेपाल और बांग्लादेश के चिकित्सा संस्थान सहभागिता करेंगे। देश-विदेश में कुल 15 चिकित्सा संस्थानों में यह क्लीनिक ट्रायल होगा।
इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व जबलपुर मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ करेंगे
इसे देश में एसएलएनबी की सस्ती तकनीक का पहला मल्टीसेंट्रिक क्लीनिकल ट्रायल होने का दावा किया जा रहा है। ट्रायल सकारात्मक रहने पर स्तन कैंसर संदिग्धों को जांच और पीड़ितों को सर्जरी के बड़े व्यय से मुक्ति मिलेगी। बता दें कि जबलपुर में मेडिकल कॉलेज में मध्य भारत का अग्रणी एंडोक्राइन सर्जरी सेंटर है।
जहां, विशेषज्ञ चिकित्सकों का दल स्तन कैंसर पर निरंतर बेहतर कार्य कर रहा है। स्तन कैंसर से संबंधी जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की जा रही है। कालेज प्रबंधन के अनुसार, उन्नत स्तन कैंसर सर्जरी जैसे ऑनकोप्लास्टिक स्तन सर्जरी, स्थानीय फ्लैप का उपयोग करके स्तन पुनर्निर्माण, सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी, एंडोस्कोपिक निपल स्पेयरिंग मास्टेक्टॉमी आदि की सुविधाएं नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
मेडिकल कालेज में स्तन, थायराइड और एंडोक्राइन सर्जन डॉ. संजय कुमार यादव ने बताया कि हम बहुत कम लागत वाली डाई का उपयोग करके प्रारंभिक स्तन कैंसर के लिए सेंटिनल लिम्फ नोड बायोप्सी का मूल्यांकन करेंगे। इससे स्तन कैंसर एसएलएनबी सर्जरी की लागत में भारी कमी आएगी। हमारी तकनीक में बायोप्सी का मूल्य 100 रुपये से भी कम है। हम सबसे कम लागत पर उन्नत स्तन कैंसर के उपचार के लिए निरंतर अनुसंधान कार्य कर रहे है
मेडिकल कॉलेज की अनुसंधान इकाई की कार्यकारी समिति के प्रमुख और डीन प्रो. नवनीत सक्सेना के अनुसार, लगभग पांच महीने की प्रक्रिया के बाद कॉलेज को क्लीनिक ट्रायल के लिए सरकार से अनुमति प्राप्त हो गई है। अगले महीने से ट्रायल आरंभ कर दिया जाएगा।
सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पवन अग्रवाल ने कहा कि स्तन कैंसर बायोप्सी की सस्ती तकनीक के विकास को लेकर कॉलेज में किए गए इस अनुसंधान को कांग्रेस ऑफ सर्जरी में फैलोशिप अवार्ड प्राप्त हो चुका है। इस वर्ष अगस्त में मलेशिया में होने जा रहे वर्ल्ड कांग्रेस ऑफ सर्जरी में हमारे चार शोध अध्ययनों का चयन हुआ है।