जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी मनाई जाती है। गोमाता को समर्पित इस पर्व में गायों की पूजा की जाती है। गोपाष्टमी मथुरा, वृंदावन और ब्रज का प्रसिद्ध त्योहार है। इस दिन गाय की पूजा के साथ-साथ उसके बछड़ों को भी सजाया जाता है। ज्योतिषाचार्य सौरभ दुबे ने बताया, धार्मिक और पौराणिक मान्यता है कि कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन उठाया था। साथ ही इसके आठ दिन पश्चात् यानी अष्टमी तिथि को भगवान इंद्र ने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी थी और कामधेनु ने अपने दूध के भगवान का अभिषेक किया था। गोपाष्टमी 01 नवंबर को मनाई जाएगी।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 31 अक्टूबर की रात्रि 3 बजकर 6 मिनट से प्रारंभ होगी। वहीं अष्टमी तिथि की समाप्ति 01 नवंबर को रात 12 बजकर 45 मिनट पर होगी। उदया तिथि के अनुसार इस साल गोपाष्टमी 01 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी।
इस दिन गो माता का श्रृंगार करके उनके पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं। इसके साथ ही अन्य आभूषण भी पहनाएं जाते हैं। इसके बाद उन्हें चराने के लिए बाहर ले जाते हैं।
-गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को भी दान दिया जाता है।
-अधिकतर लोग ग्वालों को नए कपड़े देकर उन्हें तिलक लगाते हैं।
-शाम को जब गाय घर वापस आती है तो उनकी पूजा की जाती है और उन्हें अच्छा भोजन दिया जाता है।
-इस दिन गोमाता को विशेष रूप से हरा चारा, हरा मटर और गुड़ खिलाए जाते हैं।
-जो लोग इस दिन घर पर गाय की पूजा नहीं कर पाते वे गौशाला जाकर गाय की पूजा करते हैं। वहां उन्हें गंगाजल, फूल, अर्पित किया जाता है।
-गोपाष्टमी के दिन गाय को दीपक दिखाकर गुड़ खिलाते हैं।
--इस दिन गौशाला में गोमाता के भोजन के लिए अन्य समाग्रियों का दान भी किया जाता है।