Online Gaming: जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। बच्चे स्टडी मटेरियल मोबाइल फोन पर खोज रहे हैं, लेकिन कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो स्टडी के नाम पर मोबाइल में आनलाइन गेमिंग से जुड़ रहे हैं। यह एक तरह की लत बच्चों में बन रही है। शहर में आनलाइन गेम के जरिए कई बच्चों ने अपने स्वजन के खाते खाली कर दिए है। स्वजन जब खाते से पैसे कटने की शिकायत लेकर सायबर पुलिस तक पहुंचते हैं तो जांच में पता चल रहा है कि बच्चों ने आनलाइन गेम में यह रकम खर्च की है।
बता दें कि स्वजन आनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को अलग मोबाइल दे देते हैं। बच्चे पढ़ाई के अलावा उसमें क्या कर रहे हैं इसको लेकर कई बार अभिभावक निश्चित हो जाते हैं। इसी दौरान बच्चों को आनलाइन गेम की लत लगती है। सायबर थाना प्रभारी विपिन ताम्रकार ने बताया कि इसे इंटरनेट मीडिया का फ्राड कहा जाता है। जिसके जाल में बच्चे फंस जाते हैं और फंसते ही चले जाते हैं।
बच्चों को मोबाइल देने के बाद अभिभावकों को विभिन्न एप के जरिए उसकी निगरानी करना आवश्यक है। इसे चाइल्ड मानिटरिंग ऐप्लीकेशन कहा जाता है। जिसमें बच्चा किससे बात कर रहा, किससे चैटिंग हो रही है, आदि के साथ लोकेशन भी ट्रेस कर सकते हैं। फैमिली नाम से कुछ पेड ऐप्लीकेशन हैं, जिसके जरिए आनलाइन निगरानी की जा सकती है। इसके अलावा स्क्रीन टाइमिंग के जरिए भी निगरानी की जा सकती है। इसके अलावा लाक से भी मॉनिटरिंग की जा सकती है।
उनके अनुसार बच्चे गेम में आनलाइन खरीददारी करते हैं गेम खिलाने वाली कंपनी गेम को रोमांचक बनाने के लिए कई तरह के पावर और उपकरण उपलब्ध करवाती है जिसके लिए शुल्क देना होता है। कई पेड गेम्स के लिए मोबाइल नंबर देना पड़ता है। अक्सर बच्चे अपने अभिभावकों का नंबर दर्ज करवा देते हैं। ये नंबर बैंक खातों से जुड़े होते हैं। बच्चें गेम्स खेलने के लिए खरीददारी करते हैं और भुगतान आनलाइन कर देते हैं जिसकी जानकारी भी अभिभावकों को नहीं होती है। धीरे-धीरे जब पैसा खाते से कम होता है तो उन्हें समझ आता है कि पैसा कम हो रहा है और इसकी शिकायतें आती है। ऐसे कई मामले विभाग के पास आए है। फिलहाल सायबर पुलिस सीधे तौर पर दो लाख से ऊपर के फ्राड के मामले की जांच करता है। इससे कम राशि के फ्रांड को स्थानीय थाना स्तर पर शिकायत होती है जिसकी जांच के लिए जरूरी सहयोग सायबर पुलिस करती है। उन्होंने बताया कि जरूरी है कि बच्चों के मोबाइल देते समय उसकी गतिविधियों पर विशेष नजर रखे।
इनका कहना है..
मौजूदा समय में बच्चों के मोबाइल का उपयोग आवश्यक है लेकिन सतर्कता आवश्यक है। अधिक समय तक मोबाइल का उपयोग उन्हें एक तरह से लत में बदल देता है। अधिक समय तक पढ़ने के बाद बच्चे मनोरंजन के लिए आनलाइन गेम्स का सहारा लेते हैं उनके अंदर बेहतर करने की चाह उन्हें गेम्स के प्रति आकर्षण पैदा करती है। ऐसे में इससे बचाव के लिए नजर रखना आवश्यक है।-डा. शोभना खरे, सेवानिवृत्त प्राध्यापक मनोविज्ञान विभाग महाकोशल कालेज