जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। प्रकाश के महापर्व दीवाली की पूर्व तैयारियों के क्रम में संस्कारधानी जबलपुर में एक बार फिर से कुंभकारों के चाक तेजी से चलने लगे हैं। इससे उनके घरों में खुशी लौट आई है। दरअसल, कोरोना काल में अन्य वर्गों की भांति परंपरागत व्यवसाय करने वाले कुंभकारों की भी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। लेकिन इस बार दीपावली में उम्मीद जगी है कि माटी के दीयों के अलावा मिट्टी के खिलौने व बर्तनों की अच्छी खारी बिक्री होगी। इसका रुझान उन्हें अभी से मिल रहा है। इस वजह से उत्साहित होकर वे बड़ी संख्या में मिट्टी के सामान बना रहे हैं। उनके घर के हर सदस्य व्यस्त व बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं।
बांदना पर्व में भी दीये की खूब मांग की आशा बढ़ा रही उत्साह :
आदिवासियों के बांदना पर्व में भी दीये की खूब मांग रहती है। जबलपुर के चक्रवर्ती ग्राम, पुरवा, कुम्हार मोहल्ला, भानतलैया सहित अन्य दर्जनों स्थानों पर इन दिनों कुंभकारों के परिवार दीये दीये, खिलौने आदि बनाने में जुट गए हैं। कोरोना काल के तीन-चार वर्ष पहले ही लोग परंपरागत मिट्टी के दीये और बर्तनों का दोबारा बड़ी संख्या में उपयोग करना शुरू किए थे। उससे पहले मोमबत्ती, चीन के बने दीये व विद्युत झालरों का प्रचलन अधिक हो गया था। इसकी वजह से कुम्हारों का व्यवसाय मद्धिम हो गया था। वे अपने परंपरागत कार्य को छोड़ने लगे थे। इधर, कोरोना की वजह से पुनः इस व्यवसाय पर चोट पड़ गई थी।
हालांकि इस बार फिर दिन बहुरते नजर आ रहे हैं। इससे हौसला परवान चढ़ गया है। मिट्टी के दीये व खिलौने-बर्तन के कारोबार के पुराने दिन लौटेंगे : कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बाद शहर में मिट्टी के दीये व खिलौनों की खपत बढ़ गई है। ऐसे में, इस दीपावली में शहर में ही लगभग पांच लाख देशी दीयों की बिक्री की उम्मीद कुंभकार व व्यवसायी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस बार त्योहार में मिट्टी के दीये व खिलौने-बर्तन का कोरोना पूर्व की भांति लाखों रुपये का कारोबार होगा। इससे पूर्व गणेशोत्सव व दुर्गोत्सव में मूर्तियां बेचकर कुंभकार काफी खुश हुए थे। कोरोना काल में दो वर्ष मूर्तियों का कार्य धीमा पड़ गया था। इस वजह से हालत खराब हो गई थी। लेकिन इस बार दीयों की रोशनी जीवन को दमकाने तैयार है।