Jabalpur News : जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जनजातीय विकास विभाग के एकलव्य आवासीय विद्यालय रामपुर में गड़बड़ी की जांच धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। इस छात्रावास में गड़बड़ियां लंबे समय से की जाती रही हैं। जांचें भी हुईं, लेकिन वो बेनतीजा रहीं। ताजा घटनाक्रम में घटना दिवस बनाए गए भोजन और वहां उपयोग किए जाने वाले राशन का सेंंपल जांच के लिए भोपाल लैब भेजा गया है। रिपोर्ट आते ही कार्रवाई का दायरा बढ़ने की संभावना है।
एकलव्य छात्रावास में फूड प्वाइजनिंग का मामला प्रकाश में आने के बाद वहां व्याप्त खामियां सामने आने लगी हैं। मौजूदा घटनाक्रम की जांच चल रही है। स्कूल की प्राचार्य सहित तीन लाेगों को निलंबित किया जा चुका है। इसके अलावा कलेक्टर के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा प्रशासन की ओर से घटना दिवस बनाए गए भोजन और वहां उपयोग किए जाने वाले राशन का सेम्पल लेकर जांच के लिए भोपाल भेजा गया है। जिम्मेदारों का कहना है कि जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी तो उसमें उजागर होने वाली खामियों के बाद कार्रवाई का दायरा और बढ़ाया जाएगा।
पांच दिन पहले रामपुर स्थित आवासीय विद्यालय में करीब डेढ़ सौ बच्चे दूषित भोजन खाकर बीमार हो गए थे। उनको उपचार के लिए विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। मामला तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच के निर्देश दिए थे। प्रथम दृष्टि में सामने आई गड़बड़ी के बाद इस मामने में तीन लोगों को निलंबित कर दिया गया था।
एकलव्य आवासीय विद्यालय रामपुर की शिकायतें पहले भी आती रही हैं। करीब एक महीने पहले कलेक्टर के निर्देश पर एक जांच कमेटी ने छात्रावास का दौरा भी किया था। बताया जाता है कि उस समय आवासीय विद्यालय की प्राचार्य गीता साहू की ओर से दस्तावेज ही नहीं उपलब्ध कराए गए। जिसकी वजह से जांच दल को बैरंग ही लौटना पड़ा था। इस जांच के पूर्ण नहीं हो पाने की वजह से आज तक कलेक्टर को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकी है।
महीना भर पहले जांच के लिए जिन अधिकारियों को एकलव्य आवासीय विद्यालय भेजा गया था, यदि उनको स्कूल की प्राचार्य ने जांच में सहयोग नहीं किया, तो उनको इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को देना थी। इस मामने में संबंधित प्राचार्य के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की जानी थी। लेकिन ऐसा नहीं किया जाना अफसरों की मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
एकलव्य आवासीय विद्यालय रामपुर की शिकायतें पहले भी मिलती रही हैं। करीब महीना भर पहले मैं जांच के लिए गया था, लेकिन उस समय वहां की प्राचार्य ने किसी प्रकार के दस्तावेज ही उपलब्ध नहीं कराए थे, जिसकी वजह से वह जांच आज तक अपूर्ण है।
-पीके सिंह, क्षेत्र संयोजक