जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। नगर निगम का करीब 95 साल पुराना बूढ़ा सभाकक्ष 79 वार्ड पार्षद अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारियों सहित अन्य आंगतुकों के लिए अब छोटा पड़ने लगा है। नगर निगम सदन की बैठकों में जब सभी वार्ड पार्षद, विधायक, सांसद प्रतिनिधियों के अलावा जब अधिकारी बैठते हैं तो कई बार जगह इतनी कम पड़ जाती है कि सदन की कुर्सियों में तीन की जगह चार पार्षद ठस-ठस कर बैठे दिखते हैं। महिला पार्षदों के पति, जनप्रतिनिधियों के निज सचिव व कार्यकर्ताओं के भी सदन की बैठक में आ जाने से अतिरिक्त कुर्सियां लगाई जाती है जिससे सभाकक्ष के भीतर जाना और बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है। वर्तमान में नगर निगम सदन की बजट बैठक चल रही है। जिसमें जगह कम होने के कारण होने वाली समस्या देखी जा सकती है। कई बार पक्ष-विपक्ष की तकरार के दौरान पार्षद जब सदन के गर्भगृह में बैठ कर प्रदर्शन करते हैं तब भी जगह की कमी के कारण वे खुलकर प्रदर्शन कर पाते।
नगर निगम का पं भवानी प्रसाद तिवारी सभाकक्ष वर्ष 1928 में बनाया गया था उस वक्त 50 लोग ही बैठते थे। इसके बाद वार्डों की संख्या बढ़ने के साथ ही पार्षद भी बढ़ते गए। पहले 60 फिर 70 और वर्तमान 79 पार्षद हो गए। सभाकक्ष में अधिकतम 80 लोग ही आराम से बैठ सकते हैं पर मौजूदा हाल ये है कि पार्षदों के अलावा महिला पार्षदों के पति अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, रीडर सहित सभाकक्ष में 100 से ज्यादा लोग बैठ रहे हैं। अभी छह मनोनीत पार्षदों की नियुक्तियां भी शेष है।
सभाकक्ष को छोटा पड़ता देख नया सभाकक्ष बनाने की मांग भी उठ चुकी है। इसके लिए नगर निगम परिसर में ही नया सभाकक्ष बनाने के अटकलें भी चली थी। लेकिन वक्त के साथ मांग और अटकलों का बाजार ठंडा पड़ गया।
विदित हो कि पं. भवानी प्रसाद तिवारी सभाकक्ष 1928 में बना था। उस इसे बनाने में महज 92 हजार रुपये खर्च हुए थे। उस दौरान नगर निगम का गठन भी नहीं हुआ था। एक जून 1950 को जबलपुर नगर निगम बना तब सदन में एक महापौर और 43 सदस्य बैठते थे इसमें 34 निर्वाचित, छह उनके द्वारा चुने गए और तीन नामिनेटेड सदस्य होते थे। उस दौरान सभाकक्ष में बमुश्किल 50 जनप्रतिनिधि व अधिकारी ही बैठा करते थे। इसके बाद वार्ड बढ़े और पार्षदों की संख्या भी बढ़ती गई।