Itarsi News इटारसी। 18 सालों से बंद पड़ी सिंचाई विभाग की सिलवानी परियोजना को अब दोबारा जिंदा नहीं किया जाएगा, इस योजना पर आ रहे मोटे खर्च को देखते हुए अब विभाग ने इस योजना से पैर खींच लिए हैं। विभाग ने इस योजना का विकल्प दौड़ी-झुनकर के पास देहरी एक नई परियोजना को बनाने की तैयारी किया है।
करीब 154 करोड़ की नई परियोजना से 10 हजार हेक्टेयर बंजर जमीन उपजाऊ बनेगी। सिंचाई एवं तवा विभाग के अधिकारियों ने प्राथमिक सर्वे के बाद इसे वित्तीय मंजूरी हेतु शासन को भेजा है।
आदिवासी विकासखंड केसला में 18 साल पहले शुरू सिलवानी उदवहन परियोजना को सिंचाई विभाग अब चालू नहीं करेगा। परियोजना में पानी लाने के लिए तैयार पूरा ढांचा ध्वस्त हो चुका है, बिजली आपूर्ति की लाइन तक चोरी हो गई है, इसके रखरखाव पर मोटी रकम लगने के बावजूद यह चालू होगी इसकी आस कम है, अब देहरी परियोजना को इसका विकल्प बनाया जाएगा।
तत्कालीन विधायक गिरिजाशंकर शर्मा के प्रयासों से करीब 2 करोड़ रुपये खर्च कर विभाग ने इसे प्रारंभ किया था। इस परियोजना से विकास खंड के करीब आधा दर्जन आदिवासी गांवों की करीब 300 हेक्टेयर असिचिंत जमीन को फसल के लिए पानी देने के लिए शुरू किया गया था।
सिलवानी गांव के अलावा सोमूखेड़ा, कोतमी माल, भरगदा समेत आधा दर्जन गांव के किसानों की जमीन को साल भर भरपूर सिंचाई का पानी देने के लिए योजना सिंचाई विभाग ने चालू की, इस इलाके में तवा बांध से सिंचाई का प्रबंध न होने से किसान अपनी कीमती जमीन पर कोदो-कुटकी की खेती करने को मजबूर थे। उपजाऊ जमीन होने के बावजूद करीब 300 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का प्रबंध न होने से गेहूं, चना, मक्का की पैदावार नहीं होती थी, लेकिन पूरा बजट खत्म करने के बावजूद यह योजना फ्लाप हो गई, इस वजह से यहां के किसानों को सिंचाई परियोजना का लाभ नहीं मिला।
प्रोजेक्ट के लिए यहां 20 किमी. तक बिजली के पाेल लगाकर लाइन खींची गई थी, लेकिन चोरों ने पूरी लाइन काटकर चोरी कर ली। नहर में पानी के पाइप भी चोरी हो गए। इस वजह से पूरी योजना खटाई में पड़ी रही। योजना पूरी होने के साल नदी में आई बाढ़ की वजह से पानी खींचने वाली मशीन का सिस्टम बह गया था, बाद में पाइप और बिजली लाइन भी चोरी हुई।
किसानों की समस्या को देखते हुए कुछ माह पहले इस प्रोजेक्ट को फिर से प्रारंभ करने का सर्वे कराया गया था, लेकिन रखरखाव में काफी खर्च आ रहा है। यहां पानी की मोटर, बिजली लाइन, अनुपयोगी संयंत्र की जगह नई मशीनें लगाने में काफी राशि लगेगी। अधिकारियों का कहना है कि पूरा नया सिस्टम लगाकर इस परियोजना को दोबारा चालू करना पड़ेगा, साथ ही नदी में आने वाली बाढ़ से परियोजना को होने वाले नुकसान को रोकने के उपाय भी करना पड़ेगा।
सर्वे दल में शामिल तवा परियोजना के कार्यपालन यंत्री वीरेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि हमने यहां जलस्तर का सर्वे करने नाव का सफर किया, इस इलाके में साल भर इतना पानी रहता है कि यदि सूखा भी पड़ जाए तो यहां पानी कम नहीं होगा, ऐसी हालत में यह योजना ज्यादा किफायती और फायदेमंद बनेगी।
सिलवानी परियोजना के पुराने ढांचे पर काफी खर्च आ रहा है, सारा काम नया होगा, इसके विकल्प के तौर पर हमने दौड़ी झुनकर के पास देहरी परियोजना का प्राकलन तैयार कर शासन को भेजा है। इसे मंजूरी मिली तो करीब 10 हजार हेक्टेयर जमीन सिचिंत हो सकेगी। -वीरेन्द्र कुमार जैन, कार्यपालन यंत्री तवा परियोजना